कुल उच्चारण स्थान ~ ८ (आठ) हैं ~
१. कण्ठ~ गले पर सामने की ओर उभरा हुआ भाग (मणि)
२. तालु~ जीभ के ठीक ऊपर वाला गहरा भाग
३. मूर्धा~ तालु के ऊपरी भाग से लेकर ऊपर के दाँतों तक
४. दन्त~ ये जानते ही है
५. ओष्ठ~ ये जानते ही हैं
६. कंठतालु~ कंठ व तालु एक साथ
७. कंठौष्ठ~ कंठ व ओष्ठ
८. दन्तौष्ठ ~ दाँत व ओष्ठ
अब क्रमश: ~
१. कंठ ~ अ-आ, क वर्ग (क, ख, ग, घ, ङ), अ: (विसर्ग) , ह = कुल ९ (नौ) वर्ण कंठ से बोले जाते हैं |
२. तालु ~ इ-ई, च वर्ग (च, छ, ज, झ, ञ) य, श = ९ (नौ) वर्ण
३. मूर्धा ~ ऋ, ट वर्ग (ट, ठ, ड, ढ, ण), र , ष =८ (आठ) वर्ण
४. दन्त ~ त वर्ग (त, थ, द, ध, न) ल, स = ७ (सात) वर्ण
५. ओष्ठ ~ उ-ऊ, प वर्ग (प, फ, ब, भ, म) =७ (सात) वर्ण
६. कंठतालु ~ ए-ऐ = २ (दो) वर्ण
७. कंठौष्ठ ~ ओ-औ = २ (दो) वर्ण
८. दंतौष्ठ ~ व = १ (एक) वर्ण
इस प्रकार ये (४५) पैंतालीस वर्ण हुए ~
कंठ -९+ तालु-९+मूर्धा-८, दन्त-७+ओष्ठ-७+ कंठतालु-२+कंठौष्ठ-२+दंतौष्ठ-१= ४५ (पैंतालीस)
और
सभी वर्गों (क, च, ट, त, प की लाईन) के पंचम वर्ण तो ऊपर की गणना में आ गए और *ये ही पंचम हल् (आधे) होने पर👇*
नासिका\अनुस्वार वर्ण ~ अं , बनते हैं | (अं - में ऊपर की बिन्दु (अनुस्वार) बनने वाले पाँच हल् वर्ण (पंचम हल्) हैं~ *ङ्, ञ्, ण्, न्, म्*
तो ४५. +. १
उच्चारण स्थान से अनुस्वार = ४६ (छियालीस)
ऊपर के तो ४६ (छियालीस)
+ ४ संयुक्त (जिनके पहले अक्षर वर्ग वर्ण में है ) + २ उत्क्षिप्त (ट वर्ग में हैं ) = कुल हुए ५२ (बावन )
यह है हमारी वर्णमाला और इनके उच्चारण-स्थान सहित।
🙏 जय जय 🙏🏻
Nice
ReplyDeleteThanks
ReplyDeleteThanks
ReplyDeleteसर मै बचपन से ही र अक्षर का उच्चारण नही कर पाता हु।क्या करु कुछ उपाय बताये।र के जगह व कि उच्चारण होता है ।
ReplyDeleteकम से कम 21बार गायत्री मंत्र नित्य जपिए, और होम्योपैथिक दवा Stramonium -30 का दिन में तीन बार सेवन करिये|यदि कोई चोट चपेट नही लगी होगी, तो जल्दी ही ठीक हो जाएँगें|
Deleteडॉ० राहुल शुक्ल साहिल 9264988860
Kya PA ka isthan kanth hai
ReplyDeleteप का स्थान ओष्ठ है
Deleteअनुस्वार का उच्चारण स्थान बताइए please please it's urgent
ReplyDeleteनासिका, क्षमा करें बन्धुवर देख नही पाया था!
DeleteThanks meri problem solve ho gaya
ReplyDeleteकौन सी परेशानी ठीक हुई, स्पष्ट बताइए
DeleteOr samjhaiye
ReplyDeletenice
ReplyDeleteGood
ReplyDeleteThanks
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