Skip to main content

साहिल भगत सिद्धि की आस दादा को बधाई

आस का  दीपक जला दिया है,          
जन जन में चेतना जगा दिया है,                           
देख के आपकी 'कौशल' काया                    
अन्तर्मन को  हिला दिया  है | _________________                
प्रतिभा जागे  हम  हो  आगे,            
ऐसा हमको सिखा दिया है,                     
आशा  ही  है  जीवन गाड़ी,             
दुर्गम पथ ने सिखा दिया है|                     
------------------     
बाला जी  की सुन्दर  बानी,  
भगत आस सरस जी ज्ञानी,                        
नित्य  सदा शिव  वन्दन करते,                           
कौशल आस बड़े  हैं दानी |  
                                          
     ✍ डाॅ• राहुल शुक्ल साहिल

आदरणीय आस -भाई के
सादर -वंदन -नमन ।
जन-चेतना के शान
जय-जय पटल के जान।
काव्य -जगत के सम्मान ।
सहज - सरल - सौम्य मूर्ति - महान ।
नमन -नमन कोटि  नमन ।

2 से 6 बजे तक की समीक्षा
नमन आपके वक्तितित्व और कृतित्व को ।।
बिसल -पुर की धरती गर्व से भर उठी आप जैसा "कवि -रत्न को पाकर"।
आद शास्त्री ने  लेखक, समीक्षक और श्रेष्ठ कवि  की उपमा दी आपको। उनके आदर और भाव को नमन। सुन्दर भाव प्रकट किए ।  

आद o इंदु दी ने आपकी तुलना सूर्य से की, सहज -सरल माना ।एक -एक शब्द  सही है आपके लिए ।भाव- भरी बधाई कविता के द्वारा दी।
बधाई हो दी आपको सुन्दर लेखनी के लिए।

आद सरल - भाई ने भी बेहतरीन लेखनी से अपने भाव आपको अर्पित किये।

आ o सुदीप्ता जी ने भी सुन्दर भाव
और बधाई आपके सम्मान में लिखे।
बधाई हो आपको।

आशीष-भाई की लेखनी ने बहुत ही सुन्दर - परिचय दिया ।बेहतरीन शब्द और भाव-पुष्प अर्पित किये ।
बधाई हो सुन्दर - लेखन के लिए।

राहुल - भाई ने बहुत ही सुन्दर काव्य-मयी बधाई दी अपनी लेखनी से।
सुन्दर भाव-पुष्प अर्पित किये।
बधाई हो आपको।

आपके कृत्तित्व की क्या करूँ मैं समीक्षा ''सम्मान भी सम्मानित हो रहा है ऐसी आपकी शिक्षा''।।

अनगिनत सम्मान , काव्य ,छंद गीत, मुक्तक के रचयिता को नमन ।

मेरे भाव- पुष्प आपके चरणों में ,

भाई बनकर साथ रहे,   
सदा आशीष का हाथ रहे।।
अनीता मिश्रा "सिद्धि'"

            भगत गुरु:

परमादरणीय कौशल कुमार पाण्डेय 'आस' को उत्कट साहित्यिक जीवन की अशेष शुभाशया 💐👏👏👏🙏

आपका जीवन सतत प्रवाहमान सरिता की तरह काव्योदक से परिपूर्ण है, जिसका रसपान साहित्य-रसिक करते रहें हैं | इस रसानंद से कितने ही शारदसुतों ने कलम को करशस्त्र के रूप में सुशोभित किया है तो कितने ही कलमवर अपना जौहर दिखला कर साहित्याकाश में प्रदिप्तित हो रहे हैं |

आपकी साहित्यिक उपलब्धियों को एक स्थान पर विवेचित कर पाने की अकिंचन में क्षमता ही नहीं है | सहजता व सरलता के साथ जलवत् सौम्यता हर किसी को अापके आभामण्डल में ऐसी तल्लीन किये देती है कि आकंठ स्नेहोदधि में ही भावोद्रेक हो आता है | आपका कला-कौशल "यथा नाम तथा गुण" को चरितार्थ करते हुये साहित्यिक सोपानोन्नयन कर माँ महाकुशागार को संपन्न करता रहा है |

आपका व्यक्तित्त्व और कृतित्त्व चिरकाल तक शारदसुतों का पथ-प्रशस्त करता रहेगा | विप्रवर, आपका तो गुणानुवाद भी सहज नहीं हैं |

फिर भी अकिंचन कहना चाहता है कि ~

सुन लो  महिमाधर रहे, कौशल उनका नाम |
गुणागार   कहते   उन्हें, सदा आस का धाम |
सदा  आस   का   धाम, लुटाते रहते सुख है |
कविता    दे     आनंद, दूर करते सब दुख है |
जय-जय  के आधार, स्नेह के मोती चुन लो |
होता   परमानंद , नाम कौशल जब सुन लो ||

🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸
© भगत

पगवन्दन महाकुशासुत

       जय-जय

    आशीष पाण्डेय जिद्दी की बधाई

जैसा कि आदरणीय कौशल कुमार पांडेय जी के नाम में ही छुपा है कौशल इसका अर्थ कि वह बहुत ही बहुमुखी प्रतिभा के धनी व्यक्ति उनके पास कौशल की कमी नहीं है और उनके नाम के आगे जो आस जुड़ा है वही यह बताता है की जीवन और साहित्य प्रति उनकी कितनी आस है आज तक मैं उनसे मिलने का सौभाग्य तो प्राप्त नहीं कर सका लेकिन उनकी नितिन नवीन रचनाओं से मैंने बहुत कुछ सीखा है वह बहुत ही सहृदय व्यक्ति सरल स्वभाव के व्यक्ति एवं मिलनसार व्यक्ति हैं बीसलपुर उत्तर प्रदेश के रहने वाले आदरणीय कौशल दादाश्री आपके व्यक्तित्व और कृतित्व के बारे में लिख पाना शब्दों में संभव नहीं है सदैव आपका आशीर्वाद अनुजों के ऊपर बना रहे यही आपसे अनुज आशीष पांडे जिद्दी का आग्रह है बहुत-बहुत धन्यवाद और बधाई स्वीकार करें आदरणीय आस दादा श्री।

Comments

Popular posts from this blog

वर्णमाला

[18/04 1:52 PM] Rahul Shukla: [20/03 23:13] अंजलि शीलू: स्वर का नवा व अंतिम भेद १. *संवृत्त* - मुँह का कम खुलना। उदाहरण -   इ, ई, उ, ऊ, ऋ २. *अर्ध संवृत*- कम मुँह खुलने पर निकलने वाले स्वर। उदाहरण - ए, ओ ३. *विवृत्त* - मुँह गुफा जैस...

वर्णों के 8 उच्चारण स्थान

कुल उच्चारण स्थान ~ ८ (आठ) हैं ~ १. कण्ठ~ गले पर सामने की ओर उभरा हुआ भाग (मणि)  २. तालु~ जीभ के ठीक ऊपर वाला गहरा भाग ३. मूर्धा~ तालु के ऊपरी भाग से लेकर ऊपर के दाँतों तक ४. दन्त~ ये जानते ही ...

व्युत्पत्ति के आधार पर शब्द के प्रकार

व्युत्पत्ति के आधार पर शब्द व्युत्पत्ति का अर्थ है ~ विशेष प्रयास व प्रयोजन द्वारा शब्द को जन्म देना| यह दो प्रकार से होता है~ १. अतर्क के शब्द (जिनकी बनावट व अर्थ धारण का कारण ...