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Showing posts from March, 2021

ककहरा काव्य

क से कामिनी ख से खुशबू ग से गीता, गीता देखे घड़ी- घड़ी| च से चमेली छ से छम- छम ज से जानकी  झ से झांक रही| ट से टिम-टिम तारे चमके, ठ से ठुमकती कामिनी, ड से देखो डोल रहा है मन का पंछी, ढम ढम ढम त से तबला की तालों पर थ थिरक रही है दामिनी, द से देखो दामिनी ध से धक-धक दिल कहता है, हा कह दूँ या न से ना| असमंजस में फँसे है भइया, प से प्यार का  फ से फल  पाऊँ ब से बात है बड़ी निराली भ से भावना, दिल की भावना म से निकली मधुर- मधुर य से यामिनी बीत गयी र से रोया दिल उनका, ल से लड्डू फूट गया व से वायु विपरीत हुई स से सरस जी, नींद से जागे सपना देखो टूट गया, भावों की देखो हानि हुई, दिल टूटन की कोई आवाज नही, मेरे सिर पर कोई ताज नही| स से साहित्य है सबसे प्यारा मन को खुश कर देता है, जय-जय हिन्दी है सबसे प्यारा जीवन सुखमय कर देता है | चलो सब मिलकर कर गाएँ, प्रीत का गीत सुनाएं| चलो सब मिलकर कर गाएँ, जीत का गीत सुनाएं|    ©️ साहिल

जीवन साथी से प्रेम

जीवन साथी से प्रेम तो सदैव ही मन को प्रफुल्लित और आत्मा को जागृत करता है, इस जगत में सिर्फ प्रेम ही ऐसी  भावना है, जो संसार के सभी कष्टों और दुखों को सहन करने की शक्ति और संबल प्रदान करता है | जगत में कोई भी प्रेम से अछूता नहीं है, फिर डर किस बात का| कोई साथी बनाने में प्रेम में बँधने को डूबना क्यों समझते है आप| क्या एकाकी जीवन में कम कष्ट और दुख है ? एकाकी और प्रेमहीन जीवन में  भी दुख और परेशानियों का अम्बार है| सुख और दुःख तो दिन और रात की तरह है, अंधेरी रात के बाद स्वर्णिम सवेरा जरुर आता है, कितना भी कष्ट हो, खुशियाँ भी जरुर मिलती है, मानव जीवन की यही तो विडम्बना है या यह कह सकते हैं कि यही संस्कृति है कि समाज और धर्म के बनाए गए नियमों के अनुसार ही जीवन जीना पड़ता है | किसी न किसी के साथ तो बँधना ही पड़ता है| नव सृजन के लिए कुछ कष्टों को नजरअंदाज भी कर दिया जाता है, अपनी जैसी संतति उत्पन्न करने के संसार के नियम को निभाने ही श्रेयस्कर है, जो कि अन्य मनुष्यों एवं प्राणियों के लिए लाभदायक व हितकारी भी है |   डॉ• राहुल शुक्ला साहिल

स्कूल चलो अभियान एवं स्वच्छता से सम्बन्धित नारे

शिक्षा जीवन का आधार, मनुज  इसे करे  स्वीकार| नहीं  करेंगे अब ये   भूल, निशिदिन जाना है स्कूल| पढ़ेगें पढ़ाएंगे, विकसित हो जाएँगे| खाएंगे  पिएंगे, सेहत  बनाएँगे| दीपक  जैसी  रोशनी, हर  घर  में  फैलाएंगे| हर बच्चे को पढ़ा लिखाकर सेहतमंद बनाएँगे| घर आंगन विद्यालय को हम मिलकर स्वच्छ बनाएँगे, सब  जन को  साफ  सफाई  की  महिमा  बतलाएंगे| बेटी - बेटा एक समान, पढ़ -लिखकर पाओ सम्मान | लगन परिश्रम से मिले, जीवन में सुख शान| तन - मन से  सेवा करो, बन  जाए पहचान|| सकल कर्म व कौशल से, बन जाता है योग| सच्ची निष्ठा  से मिले, सहज सुखद संजोग|| ©️ डॉ• राहुल शुक्ल साहिल

हिन्दी साहित्य की नवीन विधाएँ

" हिन्दी साहित्य की नवीन विधाएँ " विधा का अर्थ है, किस्म, वर्ग या श्रेणी, अर्थात विविध प्रकार की रचनाओं को उनके गुण, धर्मों के आधार पर अलग- अलग विभाजित करना, नामकरण और वर्गीकरण   करना| साहित्य में विधा शब्द का प्रयोग, एक वर्गकारक के रूप में किया जाता है| विधाएँ अस्पष्ट श्रेणियाँ हैं, इनकी कोई निश्चित सीमा रेखा नहीं होती ; इनकी पहचान समय के साथ कुछ मान्यताओं के आधार पर निर्मित की जाती है| हिन्दी साहित्य के साथ- साथ अन्य विषय, कला एवं चिकित्सा के क्षेत्र में भी विधाएँ होती है, परन्तु हम केवल हिन्दी साहित्य की नवीन विधाओं पर चर्चा करेंगे |          संस्कृत साहित्य के आचार्यों ने सम्पूर्ण साहित्य को दो भागों में विभाजित किया है:—— (1) दृश्य काव्य में नाटक (2) श्रव्यकाव्य में पद्य (कविता या काव्य) और गद्य ये प्रमुख दो साहित्य के भेद हैं|            दृश्यकाव्य का आँखों द्वारा तथा श्रव्यकाव्य का श्रवणेंद्रिय (कानों) द्वारा रसास्वादन किया जाता है|संस्कृत साहित्य के समान ही हिन्दी साहित्य में भी नाटक (अनेकांकी एकांकी, रेडियोरूपक आदि) तथा पद्य (महाकाव्य, खण्डकाव्य, मुक्तक, तुकान्त

योग का महत्व

योग क्या है ? योग शब्द की उत्पत्ति संस्कृत शब्द युज से है जिसका अर्थ है जुड़ना, एकजुट करना या एकीकृत करना| समस्त इन्द्रियों की स्थिर अवस्था ही योग है| व्यावहारिक स्तर पर, योग शरीर, मन और भावनाओं को संतुलित करने और सामन्जस्य बनाए रखने का साधन है| यह योग या स्वास्थ्य एकजुटता आसन, प्राणायाम, मुद्रा, बँध, षट्कर्म और ध्यान के अभ्यास से प्राप्त होती है| योग की उत्पत्ति मानव सभ्यता की उत्पत्ति (लगभग 5 हजार वर्ष) के पूर्व से ही मानी जाती है| योग का आदि गुरु भगवान शिव को माना जाता है| योग के माध्यम से सर्वांगीण विकास का भावार्थ शारीरिक, मानसिक, नैतिक, आध्यात्मिक व सामाजिक विकास से है| योगा क्यों करें ? 1) एकाग्रता शान्ति और आत्मिक सन्तुष्टि और सामाजिक विकास के लिए 2) बैठने या चलने का तरीका (Posture) सही रखना और शारीरिक संगठन को बनाए रखने के लिए 3) रोगमुक्त शरीर बनाए रखने के लिए एवं आयु से कम दिखने के लिए 4) सुखी एवं आंतरिक शान्ति से मन को प्रसन्न बनाए रखनेके लिए 5) शरीर प्रतिरक्षण तंत्र को उच्च कोटि का बनाए रखने के लिए 6) मानसिक तनाव, नशे एवं अवसाद जैसी स्थिति से बचे रहने के लिए 7) ब

मुक्तक (सात जनम)

2112  2112  22 जो  कुछ  माँगा सबकुछ पाया, जीवन  की   है  अद्भुत  माया, सांझ  - सवेरे   प्रतिपल   तेरा, संग   रहेगा   हरदम    साया| ©️ डाॅ• राहुल शुक्ल साहिल

गीत (शृंगार)

गीत शृंगार  लिखूँ  मैं  मेरे मन का, अपने भावों के अन्तर्मन का| फूलों   की   खुशबू   फैलाती, मधुर- मधुर अहसास जगाती| जीवन में खुशियाँ भर जाएँ, जब  पग  तेरे  घर  में आएँ| बाँह   पसारे  तुझे   निहारूँ, लग जा  आके गले  पुकारूँ| आलिंगन  है  सबसे  प्यारा, जैसे   प्रेम  मिला  हो  सारा| तू  जो  चाहे   वो   मैं  ले  दूँ, खुशियाँ सारी तुझको  दे  दूँ| ©️ डॉ• राहुल शुक्ल साहिल

गेम/मोबाइल/ टीवी की आभासी दुनिया में जीने वाले बच्चों एवं युवाओं के लिए ध्यान देने योग्य लेख

[ गेम/मोबाइल/ टीवी की आभासी दुनिया में जीने वाले बच्चों एवं युवाओं के लिए ध्यान देने योग्य लेख] ना जाने क्यूँ आजकल के बच्चे और युवा वर्चुअल (आभासी) लाइफ में जी रहे हैं:– ना जाने कितने प्रकार के गेम, मूवी, कार्टून केरेक्टर, ख्यालों की दुनिया और ना जाने क्या- क्या देखकर अपने आपको उस दुनिया का आदमी या गेमर समझने लगते हैं| यही आभासी दुनिया उनके अन्तर्मन और अचेतन मन में घूमती रहती है| कभी- कभी तो उसी धुन में कितने ही बच्चे और युवा परलोक चले गये| आभासी दुनिया बच्चों को वास्तविकता से दूर ले जाती है, उनकी मानसिक शक्ति कमजोर हो जाती है| इसके विपरीत यदि प्रकृति और वास्तविकता के नजदीक रहा जाए तो, कौशल प्रतिभा और ज्ञान में बढ़ोत्तरी होती रहे| बेफालतू की  फिल्मों से अच्छा तो प्रेरक और महापुरुषों की फिल्में देखें, कार्टून के स्थान पर रियल टैलेन्ट शो देखे, गेम कैरेक्टर्स में खो जाने से अच्छा! रियल गायकों, कवियों और अन्य प्रतिभाशाली लोगों के कार्यक्रम या प्रदर्शनियां देखिए| सर्कस के असली जिमनास्ट एवं रियल हीरोज को देखिए, जिससे हमारे अन्दर भी प्रतिभा को निखारने का अवसर मिलें| हर इंसान में कुछ न कुछ प्र

घनाक्षरी (भोलेनाथ)/ गान होना चाहिए

🎍🌺🎍🌺🎍🌺🎍🌺🎍🌺🎍       मनहरण  घनाक्षरी {8 8 8 7  प्रति चरण यति, चार चरण समतुकान्त} शब्द - शब्द की पुकार, सुर  ताल  बने  हार, भक्ति  भाव  प्रेम  रस, साधना  दिखाइए| छन्द - छन्द काव्य  रंग, तन - मन  प्रीत  संग, दिव्य  रूप  दर्शन  की, कामना जगाइए| माया  लोभ दु:ख तज, नित्य देव  गुन  भज, काम  क्रोध वासना को, मूल से भगाइए| देवों  में   उत्तम  देव, भोलेनाथ  महादेव,  मुक्ति  मार्ग  मोक्ष  पथ,  हमें   दिख  लाइए|| ©️ डॉ• राहुल शुक्ल साहिल घनाक्षरी प्रात काल सूरज का, हृदय  में धीरज का, मात- पिता गुरु देव, मान होना चाहिए | मन में  विचार शुद्ध, आचरण हो विशुद्ध, प्रेममयी भाव जैसा, ज्ञान   होना  चाहिए | भूमि व्योम को नमन, भक्ति भाव की लगन, जगदाता  का  सदैव, भान  होना  चाहिए | कर्मरत    रहे   तन, स्नेह से भरा हो मन, सुन्दर शब्दों से सजा, गान   होना   चाहिए | ©️ डॉ• राहुल शुक्ल साहिल 🎍🌺🎍🌺🎍🌺🎍🌺🎍🌺🎍      मनहरण  घनाक्षरी {8 8 8 7  प्रति चरण यति, चार चरण समतुकान्त} शब्द- शब्द की पुकार, सुर ताल बने हार, भक्ति  भाव  प्रेम  रस, साधना  दिखाइए| छन्द - छन्द काव्य  रंग,