🎍🎍🎍🎍🎍🎍🎍🎍🎍🎍🎍 अमृत-ध्वनि छंद विधान अमृत-ध्वनि कुण्डलिया की तरह ही दोहे से प्रारंभ होता है और दोहे का चतुर्थ चरण इसका पंचम चरण बनता है परंतु रोला के रूप में नहीं इसकी मापनी होगी| दोहा - 13,11 तत्पश्चात 8,8,8 की यति वाले चार चरण, चरणान्त 2 2 2, 2 चरण समतुकांत चरणान्त दोहे का प्रथम शब्द या शब्द-समूह सेवा प्रभुवर राम की, राम जगत का सार| राम नाम को जो जपे, होगा बेड़ा पार|| होगा बेड़ा, पार गान जो, नित- नित गाएँ| कटे कष्ट पथ, के सब उन्नति, पाते जाएँ| सरल नीति से, काम सदा ही, देता मेवा| राम जाप ही, बहुत बड़ी है, प्रभु की सेवा|| ©️ डॉ• राहुल शुक्ल साहिल
जितना भी चाहता हूं, सब मिल ही जाता है, अब दुख किस बात का ॽ