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राम जगत का सार (अमृत ध्वनि छन्द) डॉ• राहुल शुक्ल साहिल

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           अमृत-ध्वनि छंद

                      विधान
अमृत-ध्वनि कुण्डलिया की तरह ही दोहे से प्रारंभ होता है और दोहे का चतुर्थ चरण इसका पंचम चरण बनता है परंतु रोला के रूप में नहीं
इसकी मापनी होगी|
दोहा - 13,11
तत्पश्चात
8,8,8 की यति वाले चार चरण, चरणान्त 2 2
2, 2 चरण समतुकांत
चरणान्त दोहे का प्रथम शब्द या शब्द-समूह
                  
सेवा  प्रभुवर राम की, राम जगत का सार|
राम  नाम  को  जो  जपे, होगा  बेड़ा  पार||
होगा  बेड़ा, पार  गान जो, नित- नित गाएँ|
कटे  कष्ट  पथ, के  सब उन्नति, पाते जाएँ|
सरल  नीति  से, काम  सदा  ही, देता मेवा|
राम  जाप ही, बहुत बड़ी है, प्रभु की  सेवा||

      ©️ डॉ• राहुल शुक्ल साहिल

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