जीवन साथी से प्रेम तो सदैव ही मन को प्रफुल्लित और आत्मा को जागृत करता है,
इस जगत में सिर्फ प्रेम ही ऐसी भावना है, जो संसार के सभी कष्टों और दुखों को सहन करने की शक्ति और संबल प्रदान करता है |
जगत में कोई भी प्रेम से अछूता नहीं है, फिर डर किस बात का|
कोई साथी बनाने में प्रेम में बँधने को डूबना क्यों समझते है आप|
क्या एकाकी जीवन में कम कष्ट और दुख है ?
एकाकी और प्रेमहीन जीवन में भी दुख और परेशानियों का अम्बार है|
सुख और दुःख तो दिन और रात की तरह है,
अंधेरी रात के बाद स्वर्णिम सवेरा जरुर आता है,
कितना भी कष्ट हो, खुशियाँ भी जरुर मिलती है,
मानव जीवन की यही तो विडम्बना है या यह कह सकते हैं कि यही संस्कृति है कि
समाज और धर्म के बनाए गए नियमों के अनुसार ही जीवन जीना पड़ता है |
किसी न किसी के साथ तो बँधना ही पड़ता है| नव सृजन के लिए कुछ कष्टों को नजरअंदाज भी कर दिया जाता है, अपनी जैसी संतति उत्पन्न करने के संसार के नियम को निभाने ही श्रेयस्कर है, जो कि अन्य मनुष्यों एवं प्राणियों के लिए लाभदायक व हितकारी भी है |
डॉ• राहुल शुक्ला साहिल
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