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ककहरा काव्य

क से कामिनी
ख से खुशबू
ग से गीता, गीता देखे घड़ी- घड़ी|

च से चमेली
छ से छम- छम
ज से जानकी 
झ से झांक रही|

ट से टिम-टिम तारे चमके,
ठ से ठुमकती कामिनी,
ड से देखो डोल रहा है मन का पंछी,
ढम ढम ढम

त से तबला की तालों पर
थ थिरक रही है
दामिनी, द से देखो दामिनी
ध से धक-धक दिल कहता है, हा कह दूँ या न से ना|

असमंजस में फँसे है भइया,
प से प्यार का 
फ से फल  पाऊँ
ब से बात है बड़ी निराली
भ से भावना, दिल की भावना
म से निकली मधुर- मधुर

य से यामिनी बीत गयी
र से रोया दिल उनका,
ल से लड्डू फूट गया
व से वायु विपरीत हुई
स से सरस जी, नींद से जागे
सपना देखो टूट गया,

भावों की देखो हानि हुई,
दिल टूटन की कोई आवाज नही,
मेरे सिर पर कोई ताज नही|
स से साहित्य है सबसे प्यारा
मन को खुश कर देता है,
जय-जय हिन्दी है सबसे प्यारा
जीवन सुखमय कर देता है |

चलो सब मिलकर कर गाएँ, प्रीत का गीत सुनाएं|
चलो सब मिलकर कर गाएँ, जीत का गीत सुनाएं|
   ©️ साहिल

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