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गेम/मोबाइल/ टीवी की आभासी दुनिया में जीने वाले बच्चों एवं युवाओं के लिए ध्यान देने योग्य लेख

[गेम/मोबाइल/ टीवी की आभासी दुनिया में जीने वाले बच्चों एवं युवाओं के लिए ध्यान देने योग्य लेख]

ना जाने क्यूँ आजकल के बच्चे और युवा वर्चुअल (आभासी) लाइफ में जी रहे हैं:– ना जाने कितने प्रकार के गेम, मूवी, कार्टून केरेक्टर, ख्यालों की दुनिया और ना जाने क्या- क्या देखकर अपने आपको उस दुनिया का आदमी या गेमर समझने लगते हैं| यही आभासी दुनिया उनके अन्तर्मन और अचेतन मन में घूमती रहती है| कभी- कभी तो उसी धुन में कितने ही बच्चे और युवा परलोक चले गये| आभासी दुनिया बच्चों को वास्तविकता से दूर ले जाती है, उनकी मानसिक शक्ति कमजोर हो जाती है| इसके विपरीत यदि प्रकृति और वास्तविकता के नजदीक रहा जाए तो, कौशल प्रतिभा और ज्ञान में बढ़ोत्तरी होती रहे| बेफालतू की  फिल्मों से अच्छा तो प्रेरक और महापुरुषों की फिल्में देखें, कार्टून के स्थान पर रियल टैलेन्ट शो देखे, गेम कैरेक्टर्स में खो जाने से अच्छा! रियल गायकों, कवियों और अन्य प्रतिभाशाली लोगों के कार्यक्रम या प्रदर्शनियां देखिए| सर्कस के असली जिमनास्ट एवं रियल हीरोज को देखिए, जिससे हमारे अन्दर भी प्रतिभा को निखारने का अवसर मिलें| हर इंसान में कुछ न कुछ प्रतिभा तो अवश्य होती है, बस उसे पहचान कर निखारने की आवश्यकता है| अपना अधिक से अधिक समय अपनी प्रतिभा, टैलेन्ट व शौक को निखारने, सँवारने में लगाएँ| उक्त सभी प्रकार के टैलेन्ट और कला से सम्बन्धित कार्यक्रमों को हम आनलाइन (इलेक्ट्रॉनिक मीडिया) माध्यमों पर भी देख सकते हैं| इण्टरनेट के युग में एक से बढ़कर एक प्रतिभाशाली कलाकार, मोटिवेशनल स्पीकर, गायक, वाद्य यंत्र विशेषज्ञ, सभी विषयों के उत्कृष्ट शिक्षक, बेहतरीन कवि व कवयित्रियां, अद्वितीय ललित कलाओं के विशेषज्ञ और सभी प्रकार के नृत्य कलाकर सब के सब यूट्यूब, फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटर, लिंकडीन इत्यादि मोबाइल ऐप पर उपलब्ध हैं | आपकी उंगलियों की कुछ हरकतों से ही इतनी सारी प्रतिभा और वास्तविक कला देखने को मिल सकती है कि आप अनुमान भी नही लगा सकते| फिर क्यूँ बच्चे पब्जी, कार्टून, मूवी और मद्यपान में घुसते जा रहे हैं|
कहीं न कहीं मार्गदर्शको, अभिभावकों, साहित्यकारों, शिक्षकों, दृश्य-श्रव्य माध्यमों एवं समाज के अग्रणी लोगों की कुछ कमियां तो जरुर होगी या हम अपनी जिम्मेदारी उठाने में अकर्मण्य हो गये हैं !!!! जगना- जगाना और उठाना होगा, युवा एवं बाल्य पीढ़ियो को| नहीं तो कुछ ज्यादा ही देर हो जाएँगी | गलत और असंगत मसालों का पुरजोर तरीके से विरोध करना होगा! उसके लिए चाहे; किसी भी प्रकार का युद्ध करना पड़े||
जिम्मेदार नागरिक होने के नाते, सोचिये! विचारिये! जरुर और बदलिए भी स्वंय एवं समाज को|

©️ डॉ• राहुल शुक्ल साहिल प्रयागराज उ•प्र•
            वाट्सएप ~ 9264988860

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कुल उच्चारण स्थान ~ ८ (आठ) हैं ~ १. कण्ठ~ गले पर सामने की ओर उभरा हुआ भाग (मणि)  २. तालु~ जीभ के ठीक ऊपर वाला गहरा भाग ३. मूर्धा~ तालु के ऊपरी भाग से लेकर ऊपर के दाँतों तक ४. दन्त~ ये जानते ही है ५. ओष्ठ~ ये जानते ही हैं   ६. कंठतालु~ कंठ व तालु एक साथ ७. कंठौष्ठ~ कंठ व ओष्ठ ८. दन्तौष्ठ ~ दाँत व ओष्ठ अब क्रमश: ~ १. कंठ ~ अ-आ, क वर्ग (क, ख, ग, घ, ङ), अ: (विसर्ग) , ह = कुल ९ (नौ) वर्ण कंठ से बोले जाते हैं | २. तालु ~ इ-ई, च वर्ग (च, छ, ज, झ, ञ) य, श = ९ (नौ) वर्ण ३. मूर्धा ~ ऋ, ट वर्ग (ट, ठ, ड, ढ, ण), र , ष =८ (आठ) वर्ण ४. दन्त ~ त वर्ग (त, थ, द, ध, न) ल, स = ७ (सात) वर्ण ५. ओष्ठ ~ उ-ऊ, प वर्ग (प, फ, ब, भ, म)  =७ (सात) वर्ण ६. कंठतालु ~ ए-ऐ = २ (दो) वर्ण ७. कंठौष्ठ ~ ओ-औ = २ (दो) वर्ण ८. दंतौष्ठ ~ व = १ (एक) वर्ण इस प्रकार ये (४५) पैंतालीस वर्ण हुए ~ कंठ -९+ तालु-९+मूर्धा-८, दन्त-७+ओष्ठ-७+ कंठतालु-२+कंठौष्ठ-२+दंतौष्ठ-१= ४५ (पैंतालीस) और सभी वर्गों (क, च, ट, त, प की लाईन) के पंचम वर्ण तो ऊपर की गणना में आ गए और *ये ही पंचम हल् (आधे) होने पर👇* नासिका\अनुस्वार वर्ण ~

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