Skip to main content

नित्य नमन भगत/निर्मल

क🙏🍀🕉 नित्य नमन🕉🍀🙏
🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼

हे हरि हरिजन होहुँ हम, हरमय हरि हरि हार |
हरदम हारक हरिअ हरे, हम हति हठन हकार ||

🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿

आज रौ दुस्साहस~
बोळा काड्या कांकरा, बोळा  रोप्या  धाप|
रोळा में रळपट हुया, आळस कारण आप||

🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿

जनम लिया कुछ करना ही है, बालाजी |
घड़ा  कर्म  का   भरना  ही  है, बालाजी |
तो कारे  हम  कर्म  यहाँ पर हितकर ही,
वैसे  इक   दिन   मरना  ही  है, बालाजी ||

🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸
© भगत

            सुप्रभात

◆रास छंद [सम मात्रिक]◆

विधान–[22 मात्रा,8,8,6 यति,
             अंत में 112, चार चरण,
              दो-दो चरण तुकांत]
                                               
नाथ   कृपाकर,सुनो दयावर , पीर बड़ी|
नित आस लगी,उर प्यास बढ़ी,अश्रु झड़ी||
भूल गया पथ,अटक गया रथ, पार  करौ|
आप   सहारे,  हो   रखवारे, हाथ   धरौ||

जितेन्द्र चौहान "दिव्य"

        ओ३म् नमस्ते ओ३म्
विनय
अप त्यं वृजिनं. रिपुं स्तेनमग्ने दुराध्यम्। दविष्ठमस्य सत्पते कृधी सुगम्।।
सामवेद २/९

पद्यानुवाद ~

पथ हों सुगम हमारे भगवन।
जो व्यवधान बीच में आयें
दूर बहुत पथ से हो जायें
विचलित चरण न पथ से होवें
सफल हमारे हों आराधन।
पथ हों सुगम हमारे भगवन।।

हैं कमनीय वस्तुएं.  जितनी
ये सब हैं बाधाएं  उतनी
पथ में उनके  आजाने से
कभी नहीं विचलित होवे मन।
पथ हों सुगम हमारे भगवन।। 

रहें इंद्रियां पथ पर अपने
रहें सर्वदा बस में अपने
लगें कुपथ पर कभी न चलने
ग्रसित पाप से बने न जीवन।
पथ हों सुगम हमारे भगवन।।

कुछ भी नाथ नहीं बस मेरे
जो भी हुआ कृपा से तेरे
आपकी चरणधूलि से निर्भर
जी़त सकूंगा जीवन का रण।
पथ हों सुगम हमारे भगवन।।

जागेश्वर प्रसाद''निर्मल''

।।कुछ ऐसा किरदार लिखो।।

   ।।।।।।। मुक्तक ।।।।।।।।।

लिखो  जब  भी   तुम  बनके,
एक सच्चा कलमकार लिखो।

झूठ को  झूठ  सच  को  सच,
खुलके  ऐसा  खुद्दार   लिखो।।

आईने के  मानिंद   यह कलम,
नज़र  आये  सबको  तुम्हारी।

बदल दे  जो सारी तस्वीर को,
वैसा  कुछ  किरदार लिखो।।

रचयिता।।। एस• के• कपूर 'श्री
हंस' 
   7।।।।।।।बरेली।।।।।।।।।।

दिनांक।।। 26।।08।।2017 ।।

मोब   9897071046  ।।।।।।
8218685464  ।।।।।।।।।।।।

Comments

Popular posts from this blog

वर्णमाला

[18/04 1:52 PM] Rahul Shukla: [20/03 23:13] अंजलि शीलू: स्वर का नवा व अंतिम भेद १. *संवृत्त* - मुँह का कम खुलना। उदाहरण -   इ, ई, उ, ऊ, ऋ २. *अर्ध संवृत*- कम मुँह खुलने पर निकलने वाले स्वर। उदाहरण - ए, ओ ३. *विवृत्त* - मुँह गुफा जैस...

वर्णों के 8 उच्चारण स्थान

कुल उच्चारण स्थान ~ ८ (आठ) हैं ~ १. कण्ठ~ गले पर सामने की ओर उभरा हुआ भाग (मणि)  २. तालु~ जीभ के ठीक ऊपर वाला गहरा भाग ३. मूर्धा~ तालु के ऊपरी भाग से लेकर ऊपर के दाँतों तक ४. दन्त~ ये जानते ही ...

व्युत्पत्ति के आधार पर शब्द के प्रकार

व्युत्पत्ति के आधार पर शब्द व्युत्पत्ति का अर्थ है ~ विशेष प्रयास व प्रयोजन द्वारा शब्द को जन्म देना| यह दो प्रकार से होता है~ १. अतर्क के शब्द (जिनकी बनावट व अर्थ धारण का कारण ...