(5) अर्थ के आधार पर शब्द के प्रकार
भाषा में अर्थ के आधार पर शब्दों को नौ प्रकारों में बाँटा गया है:-
१. एकार्थी शब्द
२. अनेकार्थी शब्द
३. पर्यायवाची शब्द
४. विलोम शब्द
५. समोच्चारित भिन्नार्थ शब्द
६. वाक्यांशबोधक शब्द
७. सामानार्थ प्रतीत होने वाले भिन्नार्थ शब्द
८. समूहवाची शब्द
९. आभासी शब्द
*अर्थ के आधार पर शब्द नौ प्रकार के हैं:-*
[1] *एकार्थी शब्द~*
जो शब्द सामान्यत: सर्वत्र एक ही अर्थ में प्रयुक्त होते हैं, एकार्थी हैं |
जैसे ~ दिन, रात, धूप, लड़की, बालक, पहाड़, नदी...इत्यादि |
[2] अनेकार्थी शब्द~
अर्थ के आधार पर दूसरा प्रकार है ~ अनेकार्थी शब्द
जो शब्द एक से अधिक अर्थ में प्रयुक्त होते हैं, अनेकार्थी हैं |
जैसे ~ अमृत, अलि, कर्ण, कक्षा, हरि, अज, सारंग, सूत, नयन ...इत्यादि |
जैसे- हरि
हरि से हरि रूप माँगा और हरि होकर हरि के वश में हुए|
१. हरि~ विष्णु
२. हरि~ सुन्दर रूप\विष्णु रूप
३. हरि~ वानर
४. हरि~भ्रम
[3] पर्यायवाची शब्द ~
एक ही अर्थ में प्रयुक्त होने वाले शब्द , जो बनावट में भले ही अलग हों ; परस्पर पर्याय कहलाते हैं |
जैसे ~
आग ~ अनल, पावक, दहन, वह्नि, कृशानु, हुताशन...
सूर्य ~ रवि, भाकर, भास्पति, दिवाकर, दिनेश...
गुरु ~ बड़ा, शिक्षक, आचार्य, उपाध्याय, होता...
"पर्यायवाची-शब्द" को ही "समानार्थी-शब्द" भी कहा जाता है|
कमल का पर्यायवाची ~
पंकज सरोज अरविन्द सरोरुह वारिज अम्बुज जलज कमल
*चाँद का पर्यायवाची ~
चाँद इंदु राकेश शशि चंद्र मयंक सुधाकर
*धरती का पर्यायवाची ~
धरती, धरणी, धरित्री, भू, मही, धरा, क्षमा, अचला, क्षिति, वसुधा, वसुंधरा
*साहिल का पर्यायवाची ~
किनारा/ तट/ टेक /तीर / पुलीन/ टेक लगाना/ सहारा देना / उठाना|
*हाथ का पर्यायवाची बताएं ~~
कर, हस्त, पाणि
*[4] विलोम शब्द ~
परिभाषा
*किसी शब्द के अर्थ के विपरित अर्थ का बोध कराने वाले शब्द 'विलोम शब्द कहलाते हैं|
विलोम शब्द को ही ~ विपरितार्थक शब्द, विलोमार्थी शब्द, वैकल्पिक शब्द, विपर्यय शब्द, विरोधक शब्द के नाम से जाना जाता है |
उदाहरण ~
अमृत ~ विष
अँधेरा ~ उजाला
अर्थ ~ अनर्थ
उग्र ~ शांत
आदि ~ अंत
प्रारम्भ~ समापन
पाश्चात्य ~ पार्वात्य
[5] समोच्चारित भिन्नार्थक शब्द
समोच्चारित भिन्नार्थक शब्द को ही शब्द-युग्म कहा जाता है |
सामान्यत: शब्द-युग्म में दो ऐसे शब्द होते हैं ; जो उच्चारण में समान प्रतीत होते है, परन्तु उनमें वर्तनी की भिन्नता रहती है |
वर्तनी भिन्न होने से दोनों शब्दों के अर्थ भी भिन्न ही होते हैं |
असावधानी और शब्द-युग्म से परिचित न होने से हम भी लेखन में गलती कर बैठते हैं, अत: इन शब्दों का गहनाभ्यास होना ही चाहिए |
कभी-कभी दो से अधिक समोच्चारित शब्द भी युग्म बनाते हैं
जैसे~
१. मा, मां, मॉ, माँ
२. गुरु,=बड़ा, गुरू=ज्ञान देने वाला , गुरूर =अहंकार , गुरूर्\गरूर्
३. परिणत, परिणति =कारण, परिणीत=प्रतिफल\परिणीता
अन्य उदाहरण ~
मा ~मुझे
मां ~ भीतर \अन्दर , मुझे (माम् से)
मॉ ~ गाय-भैंस का स्वर (विशेषत: गाय का )
माँ ~ जन्म देने वाली माता/ जननी
खर ... गदहा
खार ... शूल/ तिनका/ ईर्ष्या
कथा ~ गल्प/कहानी
कंथा ~ बिस्तर/ मोटा चादर
परिणत ~ बदलना
परिणति ~ अंजाम/निष्कर्ष
परिणीत ~ विवाहित
दीन ~ निरीह, बेबस, मज़बूर, लाचार...को कहा जाता है |
न कि गरीब, निर्धन, दरिद्र..को
हालांकि प्रयोग गरीब..के अर्थ में करते रहें हैं, जो कि नहीं होना चाहिए |
🙏🏻जय-जय🙏🏻
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