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तंत्री छन्द (सोम जी )

♢  तंत्री छंद ♢

विधान~
प्रति चरण 32 मात्राएँ,8,8,6,10मात्राओं
पर यति चरणान्त 22 , चार चरण, दो-दो
चरण समतुकांत।

हे मनमोहन,हे मनभावन,
                   जगपालक,राधा के प्यारे।
हे वंशीधर, मोरमुकुटधर,
                    यशुदासुत, हे  नंददुलारे।।
वेणु  बजैया, धेनु  चरैया,
                    दीनबंधु,जग  पालनहारे।
हे मधुसूदन,कृपा करो जू,
                   सोम पड़ा,है द्वार तिहारे।।

                           ~शैलेन्द्र खरे"सोम"

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