रक्षाबंधन (निर्मल दादा)

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रक्षा बंधन का संदेश
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राखी को त्योहार न समझो
राखी एक विचार है।
हर नारी की रक्षा ही
मानवता का सिंगार है।।राखी----

आंच न आये इन पर कोई
काली घटा न छाये कोई
इनके अंधरों की मुसकानें
पतझड़ नहीं चुराये कोई
नारी का सम्मान  जहां है
टिकती वहीं बहार है।। राखी-----

कहीं न हो उत्पीड़ित कोई
नहीं कोई आत्मा हो सोई
ऐसी दिव्य वाटिकाएं ही
सके चतुर्दिक जायें बोई
तभी हमें रे जय माता की
कहने का अधिकार है।। राखी----
सारा विश्व बनें मनभावन
यही सिखाने आता सावन
पुरुष बनें सारे शिव सुन्दर
हों नारी गौरा सी पावन
बनें सुसंस्कृत धरती सारी
हरना हर अंधियार है।। राखी----

जागेश्वर प्रसाद निर्मल
अजमेर (राजस्थान)
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