Skip to main content

(1)(2)(3) एकार्थी/अनेकार्थी/पर्यायवाची

अर्थ के आधार पर शब्दों को नौ प्रकारों में बाँटा गया है:- 

१. एकार्थी शब्द

२. अनेकार्थी शब्द

३. पर्यायवाची शब्द

४. विलोम शब्द

५. समोच्चारित भिन्नार्थ शब्द

६. वाक्यांशबोधक शब्द

७. सामानार्थ प्रतीत होने वाले भिन्नार्थ शब्द

८. समूहवाची शब्द

९. आभासी शब्द

अर्थ के आधार पर शब्द नौ प्रकार के हैं:-

[1]  एकार्थी शब्द~                                  
जो शब्द सामान्यत: सर्वत्र एक ही अर्थ में प्रयुक्त होते हैं, एकार्थी हैं |

जैसे ~ दिन, रात, धूप, लड़की, बालक, पहाड़, नदी...इत्यादि |

[2]  अनेकार्थी शब्द~  

अर्थ के आधार पर दूसरा प्रकार है ~  अनेकार्थी शब्द

जो शब्द एक से अधिक अर्थ में प्रयुक्त होते हैं, अनेकार्थी हैं |

जैसे ~ अमृत, अलि, कर्ण, कक्षा, हरि, अज, सारंग, सूत, नयन ...इत्यादि |

जैसे-  हरि
हरि से हरि रूप माँगा और हरि होकर हरि के वश में हुए|

१. हरि~ विष्णु
२. हरि~ सुन्दर रूप\विष्णु रूप
३. हरि~ वानर
४. हरि~भ्रम

[3] पर्यायवाची शब्द ~            

एक ही अर्थ में प्रयुक्त होने वाले शब्द , जो बनावट में भले ही अलग हों ; परस्पर पर्याय कहलाते हैं | 
जैसे ~
आग ~ अनल, पावक, दहन, वह्नि, कृशानु, हुताशन...
सूर्य ~ रवि, भाकर, भास्पति, दिवाकर, दिनेश...
गुरु ~ बड़ा, शिक्षक, आचार्य, उपाध्याय, होता...

"पर्यायवाची-शब्द" को ही "समानार्थी-शब्द" भी कहा जाता है|

कमल का पर्यायवाची ~
पंकज सरोज अरविन्द सरोरुह वारिज अम्बुज जलज कमल

चाँद का पर्यायवाची ~
चाँद इंदु राकेश शशि चंद्र मयंक सुधाकर

धरती का पर्यायवाची ~
धरती, धरणी, धरित्री, भू, मही, धरा, क्षमा, अचला, क्षिति, वसुधा, वसुंधरा

साहिल का पर्यायवाची ~
किनारा/ तट/ टेक /तीर / पुलीन/ टेक लगाना/ सहारा देना / उठाना|

हाथ का पर्यायवाची बताएं ~~
कर, हस्त, पाणि

          जय जय

Comments

Popular posts from this blog

वर्णों के 8 उच्चारण स्थान

कुल उच्चारण स्थान ~ ८ (आठ) हैं ~ १. कण्ठ~ गले पर सामने की ओर उभरा हुआ भाग (मणि)  २. तालु~ जीभ के ठीक ऊपर वाला गहरा भाग ३. मूर्धा~ तालु के ऊपरी भाग से लेकर ऊपर के दाँतों तक ४. दन्त~ ये जानते ही है ५. ओष्ठ~ ये जानते ही हैं   ६. कंठतालु~ कंठ व तालु एक साथ ७. कंठौष्ठ~ कंठ व ओष्ठ ८. दन्तौष्ठ ~ दाँत व ओष्ठ अब क्रमश: ~ १. कंठ ~ अ-आ, क वर्ग (क, ख, ग, घ, ङ), अ: (विसर्ग) , ह = कुल ९ (नौ) वर्ण कंठ से बोले जाते हैं | २. तालु ~ इ-ई, च वर्ग (च, छ, ज, झ, ञ) य, श = ९ (नौ) वर्ण ३. मूर्धा ~ ऋ, ट वर्ग (ट, ठ, ड, ढ, ण), र , ष =८ (आठ) वर्ण ४. दन्त ~ त वर्ग (त, थ, द, ध, न) ल, स = ७ (सात) वर्ण ५. ओष्ठ ~ उ-ऊ, प वर्ग (प, फ, ब, भ, म)  =७ (सात) वर्ण ६. कंठतालु ~ ए-ऐ = २ (दो) वर्ण ७. कंठौष्ठ ~ ओ-औ = २ (दो) वर्ण ८. दंतौष्ठ ~ व = १ (एक) वर्ण इस प्रकार ये (४५) पैंतालीस वर्ण हुए ~ कंठ -९+ तालु-९+मूर्धा-८, दन्त-७+ओष्ठ-७+ कंठतालु-२+कंठौष्ठ-२+दंतौष्ठ-१= ४५ (पैंतालीस) और सभी वर्गों (क, च, ट, त, प की लाईन) के पंचम वर्ण तो ऊपर की गणना में आ गए और *ये ही पंचम हल् (आधे) होने पर👇* नासिका\अनुस्वार वर्ण ~

वर्णमाला

[18/04 1:52 PM] Rahul Shukla: [20/03 23:13] अंजलि शीलू: स्वर का नवा व अंतिम भेद १. *संवृत्त* - मुँह का कम खुलना। उदाहरण -   इ, ई, उ, ऊ, ऋ २. *अर्ध संवृत*- कम मुँह खुलने पर निकलने वाले स्वर। उदाहरण - ए, ओ ३. *विवृत्त* - मुँह गुफा जैसा खुले। उदाहरण  - *आ* ४. *अर्ध विवृत्त* - मुँह गोलाकार से कुछ कम खुले। उदाहरण - अ, ऐ,औ     🙏🏻 जय जय 🙏🏻 [20/03 23:13] अंजलि शीलू: *वर्ण माला कुल वर्ण = 52* *स्वर = 13* अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ, अं, अब *व्यंजन = 37*         *मूल व्यंजन = 33* *(1) वर्गीय या स्पर्श वर्ण व्यंजन -*    क ख ग घ ङ    च छ ज झ ञ    ट ठ ड ढ ण    त थ द ध न    प फ ब भ म      *25* *(2) अन्तस्थ व्यंजन-*      य, र,  ल,  व  =  4 *(3) ऊष्म व्यंजन-*      श, ष, स, ह =  4   *(4) संयुक्त व्यंजन-*         क्ष, त्र, ज्ञ, श्र = 4 कुल व्यंजन  = 37    *(5) उक्षिप्त/ ताड़नजात-*         ड़,  ढ़         13 + 25+ 4 + 4 + 4 + 2 = 52 कुल [20/03 23:14] अंजलि शीलू: कल की कक्षा में जो पढ़ा - प्रश्न - भाषा क्या है? उत्तर -भाषा एक माध्यम है | प्रश्न -भाषा किसका

तत्सम शब्द

उत्पत्ति\ जन्म के आधार पर शब्द  चार  प्रकार के हैं ~ १. तत्सम २. तद्भव ३. देशज ४. विदेशज [1] तत्सम-शब्द परिभाषा ~ किसी भाषा की मूल भाषा के ऐसे शब्द जो उस भाषा में प्रचलित हैं, तत्सम है | यानि कि  हिन्दी की मूल भाषा - संस्कृत तो संस्कृत के ऐसे शब्द जो उसी रूप में हिन्दी में (हिन्दी की परंपरा पर) प्रचलित हैं, तत्सम हुए | जैसे ~ पाग, कपोत, पीत, नव, पर्ण, कृष्ण... इत्यादि| 👇पहचान ~ (1) नियम ~ एक जिन शब्दों में किसी संयुक्त वर्ण (संयुक्ताक्षर) का प्रयोग हो, वह शब्द सामान्यत: तत्सम होता है | वर्णमाला में भले ही मानक रूप से ४ संयुक्ताक्षर (क्ष, त्र, ज्ञ, श्र) हैं, परन्तु और भी संयु्क्ताक्षर(संयुक्त वर्ण)बनते हैं ~ द्ध, द्व, ह्न, ह्म, त्त, क्त....इत्यादि | जैसे ~ कक्षा, त्रय, ज्ञात, विज्ञान, चिह्न, हृदय, अद्भुत, ह्रास, मुक्तक, त्रिशूल, क्षत्रिय, अक्षत, जावित्री, श्रुति, यज्ञ, श्रवण, इत्यादि | (2) नियम दो ~👇 जिन शब्दों में किसी अर्घाक्षर (आधा वर्ण, किन्तु एक जगह पर एक ही वर्ण हो आधा) का प्रयोग हो, वे शब्द सामान्यत: तत्सम होते हैं | जैसे ~ तत्सम, वत्स, ज्योत, न्याय, व्य