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*वर्णमाला से अपवादित वर्ण* या
*वर्णमाला से भिन्न पहचान रखने वाले वर्ण*
*१.काकल\काकल्य\हंस वर्ण ~ अ: - ह् (आधा ह)*
*२. स्पर्श संघर्षी ~ च वर्ग ( च, छ, ज, झ, ञ)*
🙏 इनके उच्चारण में अन्य स्पर्श वर्णों से अधिक घर्षण होता है , इसलिए😃
*३. अयोगवाह ~ अं - अ:*
ये दोनों स्वर कभी भी अकेले प्रयुक्त नहीं होते | जब भी होंगे, किसी स्वर के साथ (पीछे लटककर😃) ही प्रयोग होंगे |
*४. अनुनासिक ~ हल् पंचम वर्ण (जो उच्चारण में नासिका हैं), उन्हीं का अन्य नाम*
*५. उत्क्षिप्त\ताड़नजात ~ ड़ - ढ़ (उच्चारण तालिका में नहीं हैं ये)*
*६. पार्श्विक (जीभ के दोनो ओर\बगल से) ~ ल*
(शुद्ध रूप से *ल* को बोलते समय जीभ नाव की तरह दोनों ओर से ऊपर उठ जाती हैं और वायु दोनों और से निकलती है, यही पार्श्व (बगल) है )
*७. वर्त्स्य (मसूड़े, पर इसमें यह अभी तक पता न चल सका कि कौनसे ? क्योंकि हर दाँत-दाढ़ के साथ एक मसूड़ा है | ) ~ न, स, ल*
*८. प्रकंपी \ लुंठित\लुंठ्य ~ र*
(र, के उच्चारण में हम देखते हैं कि *र* लौटते हुये मुँह से बाहर आता है और कंपन भी हो रहा है )
🙏🏻जय जय🙏🏻
*९~ अर्ध स्वर --- य- व*
(इनका मूल उच्चारण क्रमश: , य - का तो 'अ-आ' के बीत कहीं और व - का 'ए-ऐ' के बीच कहीं पर होता है, पर वह स्थान अभी तक अप्राप्य ही है)
*१०. विशिष्ठ व्यंजन (संयुक्त व्यंजन) ~ क्ष, त्र, ज्ञ, श्र (ये चार मानक है, बाक़ी ऐसे ही अन्य भी जो एकाधिक ध्वनियाँ+१ स्वर से बनते हैं, गिने जाते हैं)*
*११. आगत\स्वन ~ ये वे वर्ण हैं, जो हमारी हिन्दी के तो नहीं है; परन्तु हिन्दी में प्रयुक्त होते हैं |*
🙏 क्योंकि हिन्दी ने सहजता से सभी भाषाओं का भावों के स्तर पर आलिंगन लिया है, अत उन भाषा-शब्दों के लेखन-उच्चारण हेतु उसी भाषा के वर्ण प्रयुक्त होंगे |
ये दो प्रकार के हैं ~
१. *ऑ* ~ अंग्रेजी शब्दों के लिए
जैसे ~ कॉलेज, कॉपर, कॉ-ऑपरेशन...इत्यादि |
२. *क़, ख़, ज़, प़, फ़, ऱ....* ~ अरबी\फारसी\उर्दू शब्दों के लिए
(इनमें वर्ण के नीचे की ओर नुख़्ता ( *़* ) लगा होता है, जो अर्थ में अन्तर बताता है |
जैसे ~ सज़ा, ज़िला, नज़र.... इत्यादि |
*१२. अमानक वर्ण ~ कुछ वर्ण मानकता पूर्व अलग तरीके से लिखे जाते थे, जो मानक वर्ण से भिन्न हैं ; इन्हें ही अमानक वर्ण कहते हैं |*
ये हैं ~ 👇👇👇 (क्योंकि अब नये की-बोर्ड में उपलब्ध नहीं है ये )
*१३. अलिजिह्व ~ ऊपर के वे वर्ण जो नुख़्ता रखते हैं , अलिजिह्व हैं; क्योंकि इस नुख़्ते का उच्चारण जीभ के नीचे से वायु प्रसरण से ही होता है |*
*१४. हलन्त ~ केवल संस्कृत (तत्सम) के वे शब्द, जिनमें अंतिम वर्ण हल् (आधा) हो | इनका हिन्दी रूपान्तर (तद्भव) नहीं होता |*
जैसे ~ महद्\महत्, श्रीमन्\श्रीमद्, विपद्\विपत्, अप्, उत्, सद्, विद्वन्, शरद्\शरत्....इत्यादि|
🙏🏻जय जय 🙏🏻
अमानक वर्ण कितने हैं और कौन से हैं
ReplyDeleteJhijhank Railway stations pr likhe shabd amank varn
Deleteसब बुल्ट हो
ReplyDeleteअमानक वर्ण किसे कहते हैं सिद्ध करके बताइये
ReplyDeleteजो वर्ण हैं हिन्दी की मानकीय विशेषताओं को पूरा नहीं करते है, उन्हें अमानक वर्ण कहते है।
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ReplyDeleteअमानक वर्ण जैसे विद्या में द्य वर्ण को वर्णमाला में स्थान नहीं दिया गया है।
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