शब्द का भावार्थ/परिभाषा/

शब्द ~ ब्रह्म कहलाता है |

शब्द ~ अमर है |

शब्द ~ अक्षर है |

शब्द ~ अजर नहीं है | बुढ़ाता है और सुप्त (अप्रचलित) हो जाता है |

शब्द ~ अमृत है |

शब्द ~ विष है |

शब्द ~ सिद्धि है |

...... यूँ कहूँ कि जो भी है , शब्द ही है | आप भी , अकिंचन भी, जड़-चेतन, स्थावर-जंगम...सर्वस्व शब्द ही है |

  मनहरण घनाक्षरी
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शब्द  ब्रह्म  शब्द शिव, शब्द  रूप  लोक पिव,
शब्द से निशा औ दिव, शब्द   की  सँभार  हो |
शब्द  ज्ञान - यज्ञ  यहाँ, शब्द की है सीम कहाँ,
शब्द   देह   प्राण जहाँ, शब्द   पे   विचार  हो |
शब्द  प्राण   देह  ओत, शब्द   स्नेह  मेह प्रोत,
शब्द   तोष   गेह   होत, शब्द  ही  साकार  हो |
शब्द  से  निभाओ प्रीत, शब्द से ही लोक गीत,
शब्द को  बनाओ  मीत, शब्द - शब्द  सार  हो || 

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©भगत

शब्द - अथाह है , असीम है और गुणातीत है |

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