है तीन तलाक असंवैधानिक
सुप्रीमकोर्ट ने कह दिया
दकियानुसी कठमुल्लाओ के
मुंह पर खींच तमाचा जड़ दिया
इस्लाम का धौंस दिखाकर
महिलाओ पर अत्याचार किया
जो सब कुछ लुटाया था तुम पर
उनको ही बेघरबार किया
और हलाला का हवाला देकर
उनको जलील तुम करते थे
शरीयत का ढाल बनाकर
उनका शोषण करते थे
बेबसी और लाचारी पर
बस आंसू ही वे बहाते थे
चार चार बीबी के शौहर बन
तुम कितना इतराते थे
कब तलक अत्याचार वो सहती
अपनी दोजख जिन्दगी पर
धधक रही थी ज्वाला भीतर
जीती थी खून के आंसू पीकर
पर कठंमुल्लावो के भय से
घुटघुट कर वो जीती थी
जिल्लत की विष का प्याला
मजबूरी में ही पीती थी
आज आया नया सबेरा
नवजीवन का संदेशा लेकर
तीन तलाक की त्रासदी से
मुक्ति का नया राह देकर
जब हम है एक देश के
एक हमारा झंडा है
अलग अलग कानून का बोलो
ये क्या गोरखधंधा है
सबका हो सम्मान यहां पर
एक सा हो जीने का आधार
एक हो सबके खातिर कानून
सबको मिले समान अधिकार
बंद हुआ मुंह कठमुल्लों का
बंद होगी अब मनमानी
एक रहेगा अब कानून सबका
खुशहाल बनेगी जिन्दगानी
सुरेन्द्र अग्निहोत्री "आगी"
महासमुन्द
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