[28/08 1:24 PM] भगत गुरु: महामोदकारी छन्द
(यगण × ६, १८ वर्ण, ४ चरण, दो-दो चरण समतुकान्त)
सही है नहीं है यहाँ आज कोई चले धर्म पे जो|
कहे क्या करे क्या सभी ही समाने रहे कर्म पे जो ||
कहाँ आज खोजें कि ऐसे मिले जी सही ही कहे वो |
करें कर्म पूते रहे धर्म छूते गिरे को उठा वो ||
©भगत
♡महामोदकारी छंद♡
विधान~
[ यगण यगण यगण यगण यगण यगण]
( 122 122 122 122 122 122)
18वर्ण,4चरण,दो-दो चरण समतुकांत]
भजो श्याम राधा सहारा मिलेगा निभाना कर्म है|
करो दीन सेवा किनारा मिले जी यही तो धर्म है||
चलो संग मेरे बनाएं कहानी भगाओ बुराई|
सदा प्रेम से रोक लो भाव बैरी बढ़ाओ मिताई||
© डाॅ• राहुल शुक्ल साहिल
◆ महामोदकारी छंद◆
विधान~
[ यगण यगण यगण यगण यगण यगण]
( 122 122 122 122 122 122)
18वर्ण,4चरण,दो-दो चरण समतुकांत]
चलो राह ऐसी न काँटा
लगे जी यही बात अच्छी।
न कीजे बुराई किसी की
किसी से सुनो सीख सच्ची।।
करो खूब सेवा दुखी
दीन जो हो यही धर्म भाई।
भजो 'सोम" गोविन्द को
चित्त से और त्यागौ बुराई।।
~शैलेन्द्र खरे"सोम"
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