कसक (साहिल)

😌 कस😌

इस दिल में कसक तब होती है,
जब सजनी रूठ सी जाती है,
बातें फिर जब वो करती नहीं,
हम मन ही मन सकुचाते हैं| 

बिन उनके रह नहीं पाते हैं,
बोली सुनने को तरसते हैं,
ये कसक ही ऐसी होती है,
जाने क्यूँ समझ न आती हैं|

फिर सजनी को मनाने को,
हम सारे जतन अपनाते हैं,
नारी है जीवन की मधुवन,
मधुवन से प्रीत निभाते हैं|

चुभने वाली इस कसक को हम,
मनमीत मिलन से मिटाते हैं,
सजनी के मौन सुरों से हम,
सुखमय  संगीत बनाते हैं| 

  ✍ डाॅ• राहुल शुक्ल साहिल

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