Skip to main content

(7) समानार्थी भिन्नार्थ शब्द

समानार्थी भिन्नार्थ शब्द ~

परिभाषा ~ जो शब्द हमें अर्थ की दृष्टि से समान से प्रतीत होते हैं, परन्तु उनके अर्थ में पर्याप्त अन्तर होता है ; समभाषित शब्द या समानार्थ प्रतीयक भिन्नार्थी शब्द कहलाते हैं |

जैसे ~
1) पूजन - अर्चन

पूजन ~ विधिवत सामग्री व मंत्रोच्चार से ईश्वराधन

अर्चन ~ बिना किसी उपागम के मानसिक ईश्वराधन

2)
अभय - निर्भय
उभय =  दोनों

3)
अस्त - आँसू
अस्त्र =  हथियार

4)
प्रार्थना - निवेदन
प्रार्थना ~ अप्रकट या परोक्ष के समक्ष मनोभाव व्यक्त करना (इच्छा ऱखना, जो कि सामान्यत: ईश्वर, इष्ट या अपने कुल देव-देवी व पितृ देवों के समक्ष है|)

निवेदन ~ प्रकट या प्रत्यक्ष के समक्ष मनोभाव या अपनी बात रखना |

5)
साधना ~ किसी लक्ष्य को प्राप्त करने का प्रयास या श्रम

आराधना ~ पूर्व पद्धति से लक्ष्य को प्राप्त करने का प्रयास

6)
अबला ~ स्त्रियाँ (सभी) {निज-बल का स्मरण न रखने वाला)
निबला ~ कमजोर स्त्रियाँ

7)
प्रेम ~ ईश्वरीय
स्नेह ~ लौकिक संबंधों में

8)
साधारण ~ जो वस्तु या व्यक्ति एक ही आधार पर आश्रित हो \ जिसमें कोई विशिष्ट गुण न हो |

सामान्य ~  जो बात दो या दो से अधिक व्यक्तियों\वस्तुओं में समान हो |

9)
अनुभव ~ किसी कार्य को करके निपुण हो जाना अथवा जानकारी होना

अनुभूति ~ महसूस करना

10)
प्रणाम ~ ईश्वर, गुरुदेव अथवा देवस्वरूप आदि का अभिवादन

नमस्कार ~  लौकिक अभिवादन

11)
पारितोषिक ~ किसी सेवा  (कार्य विशेष) के लिए दिया गया उपहार

पुरस्कार ~ सम्मान में दिया गया

🙏 जय-जय🙏

Comments

Popular posts from this blog

वर्णमाला

[18/04 1:52 PM] Rahul Shukla: [20/03 23:13] अंजलि शीलू: स्वर का नवा व अंतिम भेद १. *संवृत्त* - मुँह का कम खुलना। उदाहरण -   इ, ई, उ, ऊ, ऋ २. *अर्ध संवृत*- कम मुँह खुलने पर निकलने वाले स्वर। उदाहरण - ए, ओ ३. *विवृत्त* - मुँह गुफा जैस...

वर्णों के 8 उच्चारण स्थान

कुल उच्चारण स्थान ~ ८ (आठ) हैं ~ १. कण्ठ~ गले पर सामने की ओर उभरा हुआ भाग (मणि)  २. तालु~ जीभ के ठीक ऊपर वाला गहरा भाग ३. मूर्धा~ तालु के ऊपरी भाग से लेकर ऊपर के दाँतों तक ४. दन्त~ ये जानते ही ...

व्युत्पत्ति के आधार पर शब्द के प्रकार

व्युत्पत्ति के आधार पर शब्द व्युत्पत्ति का अर्थ है ~ विशेष प्रयास व प्रयोजन द्वारा शब्द को जन्म देना| यह दो प्रकार से होता है~ १. अतर्क के शब्द (जिनकी बनावट व अर्थ धारण का कारण ...