♢♧दुर्मिल छंद♧♢
विधान~
प्रति चरण 32 मात्राएँ, 10,8,14 मात्राओं
पर यति,चरणान्त11222,चार चरण, दो-दो चरण समतुकांत।
आपकी आस में, तरसैं नैना,
हे गुरुवर कब आओगे।
पांव पखारूँगा,मैं तो जी भर,
प्रेम सुधा बरसाओगे।।
श्री चरणों के ही, पास रहूँगा,
चरण धूल सिर धारूँगा।
धन्य"सोम" होंगे, दोई लोचन,
छवि सुखधाम निहारूँगा।।
~शैलेन्द्र खरे"सोम"
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