कर्तव्य बड़े बुजुर्गों ने सिखाया, गुरुओं ने भी याद कराया, कठिन डगर पर भटक न जाना अपने कर्तव्यों को निभाना | सदा प्रज्जवलित कर्मों से, आदर्शों के मर्मो से, सत्य सनातन धर्मो से, अपने कर्तव्यों को निभाना | सदा प्रेम से जीते जाना, सुख- दुख तो है आना जाना, आशा का ही दीप जलाना, अपने कर्तव्यों को निभाना | © डाॅ• राहुल शुक्ल साहिल
जितना भी चाहता हूं, सब मिल ही जाता है, अब दुख किस बात का ॽ