व्युत्पत्ति के आधार पर शब्द
व्युत्पत्ति का अर्थ है ~ विशेष प्रयास व प्रयोजन द्वारा शब्द को जन्म देना|
यह दो प्रकार से होता है~
१. अतर्क के शब्द (जिनकी बनावट व अर्थ धारण का कारण पता न हो)
२. तर्क के शब्द (जिनकी बनावट व अर्थ धारण का कोई कारण या नियम हो)
व्युत्पत्ति से शब्द के तीन (३) प्रकार हैं~👇
१. रूढ़़ शब्द
२. योगरूढ़ शब्द
३. यौगिक शब्द (संकर भी इसी का एक प्रकार है, जिसे इसी बिन्दु के साथ पढ़ेंगे)
1. रूढ़ शब्द ~
ऐसे शब्द , जो किसी रुढ़ी या परंपरा से बने होते है | अर्थात् जिन शब्दों के बनने के पीछे कोई तर्क न हो और जिनके सार्थक खण्ड न हो सकें, रूढ शब्द कहलाते हैं |
जैसे~ पानी, दूध, किवाड़, स्कूल, प्रेम, ज़िला, मर्द, औरत, खाट, चिड़िया, नदी, दही, डण्डा, घोड़ा, हाथी, पानी, कलम, दवात
किताब, कोयल, चाचा, साहिल, बालक...इत्यादि|
2. यौगिक शब्द ~
परिभाषा ~ दो शब्दों के योग से बने ऐसे शब्द, जिनका अर्थ यथावत रहता है अर्थात् अर्थ बदलता नहीं है ; यौगिक कहलाते हैं |
या
यौगिक शब्द =
दो शब्दों से बने वे नए ऐसे शब्द, जिनका अर्थ नहीं बदलता है अर्थात् जुड़ने से पहले वाला ही बना रहता है यौगिक-शब्द। हैं |
जैसे ~ स्नानघर, विद्यालय, यज्ञशाला, कक्षा-कक्ष, आरामगाह, वेदपाठ, राजमहल, सेनानायक, विषयाचार्य....इत्यादि |
☆☆ध्यान यह रहना चाहिए कि इनके दोनों शब्दों में कोई भी शब्द विदेशज-शब्द नहीं होना चाहिए |
3. योगरूढ़ शब्द ~
परिभाषा ~ दो भिन्न शब्दों से मिलकर बने ऐसे नए शब्द, जो नया अर्थ प्रकट करते हों अर्थात् जिनको जोड़ने से पहले अलग अर्थ हो (दोनों शब्दों का अलग-अलग अर्थ हो) और जोड़ देने पर कोई नया ही अर्थ प्रकट होता हो योगरूढ़-शब्द कहलाते हैं |
पहचान ~ बहुब्रीहि समास के सभी उदाहरण योगरूढ़-शब्द होते हैं अर्थात् देवी देवताओं के नाम, किसी की पहचान विशेष\ विशेषण ही " योगरुढ़-शब्द है |
जैसे ~ गजानन, नीलकंठ, चक्रधर....इत्यादि |
🙏जय-जय🙏
श्रीमान जी धन्यवाद
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