बदलते परिवेश में नारी

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बदलते परिवेश में नारी की भूमिका

नारी का स्वरूप~♤

सहनशक्ति का रूप है नारी,
ममता का प्रतिरूप है नारी,
सदा  स्नेह  बरसाने वाली,
सहज सकल स्वरूप है नारी|

नारी के प्रति सामाजिक भाव~♤

सामाजिक सद्भाव है नारी,
समता सलिला शान है नारी,
सबके  मन को भाने वाली,
सचल सरल सौहार्द है नारी।

नारी की भूमिका~♤

जन्म धरा  पर देने वाली,
पेट की भूख मिटाने वाली,
प्रकृति स्वरूप है जग में नारी,
पौधे की तरह सँजोने वाली|

बदलते परिवेश की नारी~♤

वफा प्रेम का अर्थ समझती,
शोषण अत्याचार न सहती,
परिवेश बदलती खुद ही नारी
नूतन  समाज का उदाहरण बनती|

©  डाॅ• राहुल शुक्ल साहिल

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