--- लड़की का मायका ---
रिश्ते पुराने होते हैं
पर "मायका" पुराना नही होता
जब भी जाओ
अलाय बलायें टल जाये
यह दुआयें मांगी जाती हैं
यहाँ वहाँ बचपन के कतरे बिखरे होते है
कही हँसी कहीं खुशी
कही आँसू सिमटे होते हैं
बचपन की गिलास कटोरी
खाने का स्वाद बढ़ा देते हैं
अलबम की तस्वीरें
कई किस्से याद दिला देते हैं
सामान कितना भी समेटू
कुछ ना कुछ छूट जाता है
सब ध्यान से रख लेना
हिदायत पिता की
कैसे कहूँ सामान तो नही
पर दिल का एक हिस्सा
यही छूट जाता है
आते वक्त माँ,
आँचल मेवों से भर देती हैं
खुश रहना कह कर
अपने आँचल में भर लेती है .
आ जाती हूँ मुस्करा कर मैं भी
कुछ ना कुछ छोड़ कर अपना
रिश्ते पुराने होते हैं
जाने क्यों मायका पुराना नही होता
उस देहरी को छोड़ना हर बार
आसान नही होता |
~ प्रभांशु कुमार
इलाहाबाद
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