आशीष पाण्डेय:
बहर- 122 122 122 122
काफ़िया- आ, रदीफ़-चाहता है।
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मतला
तुम्हारी शरण आसरा चाहता है।
रहे मातृ छाया दुआ चाहता है।।
शेर
ये' बेटा तुम्हारी करे नित्य पूजा।
दयावान माता दया चाहता है।।
करो दूर जग से घना ये अँधेरा।
ते'रे दर पे जलता दिया चाहता है।।
न हो कोई' बेवस न लाचार कोई।
सुखी हों सभी का भला चाहता है।।
सजा द्वार तेरा तू' घर-घर है' आई।
हरिक भक्त माँ की कृपा चाहता है।।
मिले दिव्य दर्शन मुझे तेरा' अम्बे।
यही भाव सबका हिया चाहता है।।
जय अम्बे मैया।
आशीष पाण्डेय ज़िद्दी।
9826278837
21 सितम्बर 2017
चंचरी छंद
शिल्प~[12,12,12,10 मात्राओं पर यति,4चरण,दो-दो समतुकांत,चरणांत गुरु]
मंदिर अंदर माता, बरसे वैभव तेरा|
अष्टसिद्धि नौ निधियाँ, नयना निहारते||
पान-फूल गंग-नीर,थाल आरती सुहाय|
हाथ जोड़ झुका शीश,तुझको पुकारते||
मात मनुहार मेरी, आ जा पुकार सुनके|
लाल बुलाते मइया, चरणा पखारते||
कष्ट हरौ टेर सुनौ, विपदा टारौ मइया|
देखै धरती अम्बर ,दुखड़ा निवारते||
🌹जय माता दी 🌹
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दिलीप कुमार पाठक "सरस"
[9/21, 9:33 PM] सरस जियो: विधा-दोहा👇
विषय-नवदुर्गा /नवरात्रि
पर सादर समर्पित 💐🙏🏻💐
जगजननी से रात है, जगजननी से प्राःत|
नवदुर्गा घर-घर बसें,पावन हैं नवरात||
✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻
दिलीप कुमार पाठक "सरस"
मेरी मैया सभी साथियों के मनोरथों को पूर्ण करें|💐🏆🙏🏻🏆💐
नवरात्रि महोत्सव की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ 💐🙏🏻💐
जय माता दी
जय-जय
🏻 प्रजातंत्र
क्या है प्रजातंत्र ये कोई तो बता दे,
देश को बदलने का मंत्र कोई तो बता दे।।
खो गया है आपसी सद्भाव अब यहाँ पर,
रहती कहाँ है इंसानियत, कोई तो बता दे।।
लोकतंत्र के मायने बदल गए हैं आज,
मिलता कहाँ है इंसाफ कोई तो बता दे ।।
प्रजातंत्र के अर्थ का लोगों ने अनर्थ कर दिया,
होता है क्या इसका सही अर्थ कोई तो बता दे ।।
सदन में लगती हैं बोलियाँ अब लोकतंत्र की,
सुरक्षित रहे कैसे आमजन कोई तो बता दे ।।
नफरत पाल बैठे हैं 'सागर' लोग दिलों में यहाँ,
है किसका ज़हन पवित्र यहाँ कोई तो बता दे ।।
🙏🏻
✍🏻कुमार सागर✍🏻
02:24 बजे अपराह्न
22/09/2017
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