♡ कण्ठी छंद ♡
शिल्प ~ जगण, गुरु - गुरु (121, 2 - 2) 5 वर्ण, 4 चरण, 2-2 चरण समतुकांत
सुधीर होगें|
सुनील होगें||
समान माने|
सुरीत जानें||
महान गंगा|
शरीर चंगा||
सुराग वानी|
पुनीत पानी||
प्रयास मेरा|
करो सवेरा||
निर्मल धारा|
मिलें सहारा||
🙏 साहिल🌹🌺
卐♤ कण्ठी छंद ♤卐
शिल्प~ जगण , गुरु - गुरु।
( 121 , 2 - 2 )
5 वर्ण, 4 चरण, 2 - 2 चरण समतुकांत
बनाव नंगा ।
सुभाल गंगा।।
सुहास बोले।
दयाल भोले।।
सुवीर जो हो।
अधीर क्यों हो।।
बनो भले से।
लगो गले से।।
कौशल कुमार पाण्डेय "आस"
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