♢ पुनीत छंद ♢
विधान~
15 मात्राएँ/चरण,चरणान्त 221,
4 चरण, दो-दो चरण समतुकांत
आन पधारौ मेरे राम।
निरखूँ ये छवि शोभाधाम।।
लीला है प्रभु अपरम्पार ।
हर्ष-हर्ष गावत संसार।।
~शैलेन्द्र खरे"सोम"
♢ पुनीत छंद ♢
विधान~
15 मात्राएँ/चरण,चरणान्त 221,
4 चरण, दो-दो चरण समतुकांत
मोहक दरश जय सिया राम|
सुंदर सोहत प्रभु का धाम ||
भज प्यारे मनु सीता राम |
पूरन होगें मन के काम ||
✍ डाॅ• राहुल शुक्ल साहिल
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