♡ रति ( 2) छंद ♡
विधान~
[ सगण भगण नगण सगण गुरु ]
( 112 211 111 112 2)
13वर्ण, यति 4-9 वर्णों पर,
4 चरण,दो-दो चरण समतुकांत
कहिये तो, सब जगत अपना है।
लखिये तो, यह मिथक सपना है।।
करिये तो, कुछ जतन मतवाले।
जपिये तो,सुखद हरि गुण गा ले।।
~शैलेन्द्र खरे"सोम"
♡ रति ( 2) छंद ♡
विधान~[सगण भगण नगण सगण गुरु]
1122, 111 111 122
13वर्ण, यति 4-9 वर्णों पर,
4 चरण,दो-दो चरण समतुकांत।
गुरु देवा, प्रथम नमन करूँगा।
सिर माथे, चरणन रज मलूँगा।।
शशि जैसा, मुख नयनन भरूँगा।
जब चाहूँ, हृदय दरश करूँगा।।
मुकेश शर्मा ओम
☆रति ( 2) छंद ☆
विधान~
[ सगण भगण नगण सगण गुरु ]
( 112 211 111 112 2)
13वर्ण, यति 4-9 वर्णों पर,
4 चरण,दो-दो चरण समतुकांत
दुख भूलो, सकल सुख अपना लो|
जग वालो,भजन प्रभु गुण गा लो||
मन देखो, हृदय तम पट खोलो|
शुभ सोचो, सुखद जन प्रिय बोलो||
©डाॅ• राहुल शुक्ल साहिल
♤ रति(2)छंद♤
शिल्प~[सभनसगुरु]
(112, 211, 111 ,112 ,2)
यति-4/9वर्णों पर,13 वर्ण,4 चरण,दो-दो समतुकांत।
पग लागो,चरण शरण धरेंगे।
जब जागें,धरम करम करेंगे।।
मन माहीं,प्रभु गुन गुन लगी है।
सच जानो,सुमिरन धुन जगी है।।
कौशल कुमार पाण्डेय"आस"
♤ रति(2)छंद♤
शिल्प~[सभनसगुरु]
(112, 211, 111 , 112 ,2)
यति-4/9वर्णों पर,13 वर्ण,4 चरण,दो-दो समतुकांत।
घर आये, पुलकित प्रभु सुहाये|
पद वंदौ, नयनन छवि बसाये||
हरसाये ,सरस पुर जन वासी|
समझाये,मरम छटत उदासी||
✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻
दिलीप कुमार पाठक "सरस"
♢रति 2 छन्द ♢
विधान -सगण भगण नगण सगण गुरु=13वर्ण
चार चरण दो दो चरण समतुकान्त, (4-9 पर यति)
सुन माता ,अब करहु मत देरी ।
सुखदाता, कर जगत नित फेरी।।
हम तेरे,सुत मिलकर पुकारें।
मधु साने, नितहि वचन उचारें।।
करिए तो,कुछ हितहु निज माई।
विपदा में, अब जननि सुधि आई।।
नव दुर्गा, सुत बहुत दुख पाये ।
तब ही माँ, हम सबहि चल आये।।
बिजेन्द्र सिंह सरल यति के बाद
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