81096 43725: मुक्तक
बिषय :- राष्ट्रीय कवि रामधारी सिंह " दिनकर " जी
दिनकर नाम कविवर सिंह जू,
रचना नेक अनेक बनी ।
काल आधुनिक भाषा हिन्दी ,
कुरूक्षेत्र प्रमुख कीर्ति सनी।।
नमन करूँ में श्री दिनकर को ,
भारत में जो जन्मा वीर ।
रश्मिरथी,उर्वशी, हुंकार लिखें ,
कलम वीर वो सिंह धनी ।।
- नीतेन्द्र सिंह "परमार"
छतरपुर ( म.प्र )
सम्पर्क :- 8109643725
[9/23, 11:30 AM] अरविन्द दुबे: रामधारी दिनकर जी को
समर्पित
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रामधारी सिंह दिनकर
राम के वो थे दुलारे
कवियों के वो आदर्श बन
बन गये सबसे निराले
...................... .........
सींच कर साहित्य बगिया
बीज रचनाओं के वो कर
शब्द में वो प्राण भर कर
बन गये वो प्राण प्यारे
.................................
आगे फले फूले ये बगिया
अब हम सभी का फर्ज है
साहित्य छूले आसमां
जैसे छुये चंदा ,सितारे
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अरविन्द दुबे "साहस"
[9/23, 2:30 PM] रति ओझा:
विषय-श्री रामधारी सिंह "दिनकर"जी
विधा-हायकु,(५,७,५)
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राष्ट्र कवि हैं
रामधारी सिंह जी
नमन करें।
लिख डाले हैं
जन मन के भाव
नमन करें।
सुन्दर कृति
रश्मिरथी,उर्वशी
नमन करें।
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रति ओझा"व्यथा"
वीरता के पर्याय बन आ गये
साहित्याकाश में जो छा गये
रवि समकक्ष नाम ही था उनका
कर्म अच्छे कर सबको भा गये
साधना कृष्ण
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खुले आसमान मे परिंदा अब उड़ने लगा है,
चलो अच्छा है पिंजरे से बाहर आने लगा है।
वो दिनकर थे जिसने पत्थरों के जज्बात लिखा,
यही सोचकर पत्थर भी मुस्कुराने लगा है।
वो दिनकर थे जिसने जुगनुओं को आग लिखा,
सुन जुगनुओं का कारवॉं इधर आने लगा है।
वो दिनकर थे जिसने दिन को दिन रात को रात लिखा,
पता चला है अब सियार कतराने लगा है।
वो दिनकर थे जिसने भारत को इंकलाब लिखा,
सुन गीत राम के मुर्दा भी हाथ हिलाने लगा है।
वो दिनकर थे जिसने मेहनत को प्रणाम लिखा,
सम्हला माई का लाल अब कमाने लगा है।
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✍शीतल बोपचे
राष्ट्र कवि आ.रामधारीसिंह दिनकर जी को समर्पित
1
भारत के दिनकर तुमको में,
किन शब्दों में करूँ प्रणाम
कालजयी लेखन के कारण, अखिल विश्व में जिनका नाम|
शब्द शब्द में ओज भरा है, उद्वेलित प्रेरक हैं भाव|
छन्दमयी है जिनकी शैली, गज़लों में भी दिखता ताव||
मानवता के सच्चे साधक, जिनसे गर्वित भू का नाम|
कालजयी लेखन के कारण, अखिल विश्व में जिनका नाम||
2
कलम चली तो धरती कांपी, करें गर्जना मेघ गगन |
सूरज ने भी आग उगल दी, चल दी भर भर तेज पवन||
हिन्दी के सच्चे सपूत तुम
तुमको नमन सुबह अरु श्याम
कालजयी लेखन के कारण,अखिल विश्व में जिनका नाम|
3
प्राणभंग हुंकार रेणुका
रसवन्ती बापू कुरूक्षेत्र
रश्मिलोक उर्वशी पढ़ा तो
भर आये जन जन के नेत्र
नील कुसुम दिल्ली रथिमरथी
कवि श्री हारे का हरिनाम
कालजयी लेखन के कारण,अखिल विश्व में जिनका नाम|
4
इतना लिखा कलम से अपनी
इतिहासों में दिखती शान
किये सुशोभित भाषायी पद
बढ़ा देश का इनसे मान
जिनसे रोशन धरा हमारी
किया जगत में ऐसा काम
कालजयी लेखन के कारण , अखिल विश्व में जिनका नाम|
राजेन्द्र शर्मा राही
[9/23, 8:59 PM] राजेन्द्र राही:
गज़ल
2122 2122 2122
जो नहीं पढ़ता निराला और दिनकर
वो नहीं लिखता कभी कुछ भाव भरकर
जब लिखा तो हिल उठी धरती हमारी
जब पढ़ा सुनने लगे बीमार उठकर
शब्द उगलें आग जन जन जग उठा तब
मत जियो तुम जिन्दगी में आज डरकर
राष्ट्र का है जागरण पढना पढ़ाना
है धरोहर हर कृति बस देख पढ़कर
जग उठे सोये सभी जिसने सुना जब
हिन्द की तो शान हरदम आज दिनकर
उर्वशी कुरुक्षेत्र बापू प्राणभंगा
नीम के पत्ते पढ़ो तुम आज डटकर
क्या कहूँ हर शब्द बौना लग रहा है
शान हैं दिनकर धरा के भाव यह भर
हाथ जोड़े कर रहा राही निवेदन
तुम सहेजो रामधारीसिंह दिनकर
राजेन्द्र शर्मा राही
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