दिलीप कुमार पाठक सरस द्वारा लिखित गुरु महिमा गीत

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गुरु-महिमा-गीत

तर्ज-भला किसी का कर न सको तो,
बुरा किसी का मत करना|
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गुरू-कृपा हो जाये जिस पर,
उसका बेड़ा पार है|
गुरू बिना इस जगतीतल पर,
जीवन जीना भार है ||

मात-पिता ने जनम दिया है,
गुरूकृपा का किया वरण|
सब कुछ उसको मिल जाता है,
पकड़े जिसने गुरू-चरण||

सीख सदा लो नतमस्तक हो,
गुरू-ज्ञान गलहार है|
गुरू-कृपा हो जाये जिस पर,
उसका बेड़ा पार है ||

जीवन सफल बनाने वाली,
गुरू-ज्ञान की दीक्षा है |
फूल खिले हैं लहकें महकें,
शिक्षा एक परीक्षा है ||

पथ-प्रशस्त जो करता रहता,
वही एक आधार है|
गुरू-कृपा हो जाये जिस पर,
उसका बेड़ा पार है ||

हैं गुरुओं के रूप अनेकों,
सीख सको तो सीखो तुम|
इस भारत का परचम लेकर,
विश्व धरा पर दीखो तुम||

मात-पिता-गुरु वंदन करता,
सुखी वही परिवार है |
गुरू-कृपा हो जाये जिस पर,
उसका बेड़ा पार है ||

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दिलीप कुमार पाठक "सरस"
सुप्रभात मित्रों! 💐🙏🏻💐

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