करने लगा तू आज फिर क्यूं मेरा इंतजार
कल तक तो कहता था तुझे मुझसे नहीं है प्यार
करने लगा------
कल तक तेरे करीब हम आते थे दिलरूबा
रोते हुये करीब से जाते थे दिलरूबा
गुलशन में तेरे देखकर हम भंवरों की बहार
करने लगा-------
मिलकर जरा बता हमें क्यूं कर रहा सितम
अब हमपे फिर से प्यार का क्यूं कर रहा करम
लेगी हमारी जान अब कजरे की तेरे धार
करने लगा-------
जब हमने तुझसे प्यार का चर्चा किया था आम
तूने बुझायी आस जब हुई जिन्दगी की शाम
हमसे दुबारा आंख तुम क्यूं कर रहे हो चार
करने लगा---------
आशीष पान्डेय जिद्दी
देखा करीब से मगर,उसको नही छुआ।
नजरें मिली जरूर थीं,धोखा नही हुआ।
संगदिल सनम वही था,जो छोड़कर गया।
पर मौत की मेरे वो,करता नही दुआ।
आशीष पाण्डेय जिद्दी
28।02।2017
🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
हुई जिसको मुहब्बत फिर,नही उसे नीद आती है।
तड़पकर दिल में इक मीठी,सनम की याद आती है।
वही चेहरा रहे आँखों के,हरपल सामने छाया।
नही दिन की खबर कोई,उसे रातें सताती हैं।
जिद्दी।
28।02।2017
🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷
ख़ुशी मिली है मुझे इतनी,आज सह न सकूँ।
सजे हैं कितने मेरे सपने,आज कह न सकूँ।
चली आ देख मेरी हालत,प्यार में अब तो।
बिना तेरे लगे मै जिन्दा,आज रह न सकूं।
आशीष पाण्डेय जिद्दी
28।02।2017
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻
मुक्तक
1222 1222 1222 1222
कभी ये प्रेम लिख डाले,कभी ये द्वेष लिख डाले।
कभी ये खंड लिख डाले,कभी ये देश लिख डाले।
कलम की ताकतों का है,किसे अंदाज कितना ही।
कभी ये भाव लिख डाले,कभी ये वेश लिख डाले।
आशीष पाण्डेय जिद्दी।
दिनांक ---12-06-2016 ---9826278837
Comments
Post a Comment