Skip to main content

नित्य नमन भगत जी

   🌼  नित्य नमन 🌼🕉🙏
🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁

जय-जय का नित गान हो, जय-जय हो आधार |
जय-जय में हरि लीन प्रिय, जय-जय जगदाधार ||

🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸

भाया  जै-जै  बोल रे, जै-जै सूँ कल्याण |
जै-जै जीं कै हिय बसे, बीं की जै पैचाण ||

🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀

जय-जय का  उद्घोष  करें नित, बालाजी |
जय-जय  ही  सद्घोष  बने नित, बालाजी |
जय-जय में कल्याण छिपा है जग का ही,
जय-जय से  सद् तोष  करे नित, बालाजी||

🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
© भगत

            नित्य नमन🕉🍀🙏
🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁

मन   के  हारे   हार  है, मन  के   जीते  जीत|
सदा विजय रहती वहाँ, मन हरि महँ रत प्रीत ||

🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸

आज रौ दुस्साहस~
बेगा-बेगा   पग  उठा, टेम  घटे पल  जाय |
काया गळती रोज ही, बीत्यो कदै न आय||

🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸

मोल समय  का  समझो भैया, बालाजी |
समय  बली  बढ़कर  है  भैया, बालाजी |
जो भी समझा मोल अमरता जग पाया,
भूला  समय  मिटा   वह  भैया, बालाजी ||

🌺🌺🌺🌼🌼🌼🌺🌺🌺
©भगत

Comments

Popular posts from this blog

वर्णमाला

[18/04 1:52 PM] Rahul Shukla: [20/03 23:13] अंजलि शीलू: स्वर का नवा व अंतिम भेद १. *संवृत्त* - मुँह का कम खुलना। उदाहरण -   इ, ई, उ, ऊ, ऋ २. *अर्ध संवृत*- कम मुँह खुलने पर निकलने वाले स्वर। उदाहरण - ए, ओ ३. *विवृत्त* - मुँह गुफा जैस...

वर्णों के 8 उच्चारण स्थान

कुल उच्चारण स्थान ~ ८ (आठ) हैं ~ १. कण्ठ~ गले पर सामने की ओर उभरा हुआ भाग (मणि)  २. तालु~ जीभ के ठीक ऊपर वाला गहरा भाग ३. मूर्धा~ तालु के ऊपरी भाग से लेकर ऊपर के दाँतों तक ४. दन्त~ ये जानते ही ...

व्युत्पत्ति के आधार पर शब्द के प्रकार

व्युत्पत्ति के आधार पर शब्द व्युत्पत्ति का अर्थ है ~ विशेष प्रयास व प्रयोजन द्वारा शब्द को जन्म देना| यह दो प्रकार से होता है~ १. अतर्क के शब्द (जिनकी बनावट व अर्थ धारण का कारण ...