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सौगन्ध/वचन [आस,सरस,साहिल]

          ♢ सौगन्ध ♡
विधा:~वीर \आल्हा छंद
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है परिवार विश्व ये मेरा,
       सदियों से यह रहे बताय।
सारी दुनिया को सदियों से,
      भारत सबको है समझाय।।
किन्तु समझ नहिं आये इनकी,
     उग्रवाद इनको है भाय।
नाम निशान मिटा दो इनका,
         तभी समझ इनको आ पाय।।

सारी दुनिया परेशान है,
     खा सौगंध रही बतलाय।
भारत की पावन वसुधा पे,
     आतंकी को देय मिटाय।।
हिन्दू मुस्लिम सिक्ख इसाई,
      आतंकी अब बन नहिं पाय।
काशमीर के पत्थरबाजों,
     "आस"रहा है राह दिखाय।।

श्वेत कबूतर नेहरु जी के,
       सब घाटी से दिये उड़ाय।
छूट नहीं पायेगा कोई,
        सेना देगी मार गिराय।।
दहला देंगे पाक भूमि को,
        सीमा से तोपें चलबाय।
सेना पर अब रोक न होगी,
        सत्ता ले सौगंध उठाय।।

दरबारों की काना फूँसी,
        सहन नहीं जनता कर पाय।
तख्ता पलट किया इससे ही,
       आँख खोल बैठो सब भाय।।
देश विरोधी हर ताकत को,
       शासक सबक देय सिखलाय।
शपथ उठा धोखेबाजों को,
       फाँसी पर दो तुरत चढा़य।।

कौशल कुमार पाण्डेय "आस"
9 सितम्बर 2017,शनिवार

विधा-घनाक्षरी
विषय-सौगन्ध

प्यासे होंठ चूमने को,
          नैन दर्श हेतु कामी|
चहुँओर आज फैली,
          काव्य की सुगंध है|

शब्द-शब्द बोलता है,
          शब्द अर्थ खोलता है|
शब्द अर्थ की पसन्द,
          किया अनुबंध है ||

गा गुनगुनाने हेतु,
         हँसने हँसाने हेतु|
अपना बनाने हेतु,
          छंद का प्रबन्ध है ||

जय-जय हिन्दी पट,
         खोलो अब मीत सारे|
सरस सम्बन्ध साथ,
           प्रेम की सौगन्ध है||

✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻
दिलीप कुमार पाठक "सरस"

        ♤♤ सौगन्ध ♡♡

वाह वाह सरस जी,
शब्द शब्द तीर बने,
बावला सुधीर बने,
आपकी सुगन्ध है|

साजन का सजनी से,
दिवस का रजनी से,
प्रेम रस  है  मधुर,
जीवन का बन्ध है|

हाथों में तेरा  हाथ हो,
दुख - सुख में साथ हो,
संग  संग  जीएँ  मरे,
आपसी  सौगन्ध  है|

तुम हो मेरी अर्चना,
मैं हूँ तुम्हारी सर्जना,
हिल मिल हम खिलें,
पूरा  अनुबंध है|

    साहिल

  🌹जय जय💐🌹

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