[12/18, 08:28] Dr. Rahul Shukla:
संधि~
दो वर्ण के मेल से होने वाले विकार को संधि कहते हैं|
संधि दो शब्दों के मेल से बना है 👇
१. सम् + २. धि
समान/सही... धारण करना
*संधि* का एक शब्द में व्यावहारिक अर्थ है= *समझौता*
संधि = समझौता
अर्थात् जिस प्रकार लोक-जीवन में पारस्परिक-संबंधों को बनाए रखने के लिए हमें कुछ समझौते करने ही होते हैं, जिनके परिणामस्वरूप हमें न चाहते हुए भी झुकना पड़ता है; ठीक वैसे ही "वर्णों" को भी शब्द बनाने के लिए समझौते करने होते हैं |
यहाँ स्पष्ट करना सही होगा कि "समझौता" हमेशा "मज़बूरी या दबाव" में किया जाता है | अपने मन से कोई क्यों किसी के समक्ष झुकना चाहेगा |
"संधि" यानि "वर्णों में विकार होना" है |
ये विकार मुख्यत: तीन प्रकार से होता है ~
१. स्वर के कारण
२. व्यंजन के कारण
३. विसर्ग के कारण
तो संधि भी मुख्यत: तीन प्रकार की होती है~
१. स्वर संधि
२. व्यंजन संधि
३. विसर्ग संधि
∆ उक्त तीन संधियों के अतिरिक्त भी संधि की स्थितियाँ बनती हैं
जिन्हें अपवाद की संधियाँ कहते हैं | ये भी तीन प्रकार की हैं~
१. स्वर-अपवाद
२. व्यंजन-अपवाद
३. हिन्दी की संधियाँ
ये अपवाद में इसलिए कही जाती हैं, क्योंकि इनकी संधि-प्रकिया में नियम का पूर्णत: पालन नहीं किया जाता और कहीं किया भी जाता है तो भी संधि-स्थान के अतिरिक्त अन्यत्र (सामान्यत: प्रथम वर्ण में) भी परिवर्तन आ जाता है |
यूँ कहें कि 'अपवाद की संधियाँ'' मन-मर्जी करतीं हैं | कहीं नियम को थोड़ा-बहुत मानतीं हैं , तो कहीं बिलकुल ही नहीं मानतीं |
🙏 संधि का विषय पढ़ने से पहले कुछ और भी महत्वपूर्ण तथ्यों को देख लेना चाहिए | इनके बिना संधि व संधि-विच्छेद अक़सर ही गलत हो जाते हैं | संधि को लेकर हमारे मन में कुछ अनर्गल बातें गहरे तक पैठ करवा दी गई है , जो भ्रम का कारण बनतीं हैं |
संधि के ६ महत्वपूर्ण तथ्य हैं, इन्हें हृदयंगम\कंठस्थ कर लेने से हमेशा के लिए दुविधाओं का परिहार हो जाता है |
तो ये लीजिए संधि के तथ्य😊
(1) पहला तथ्य - दो वर्णों के मेल से विकार होने पर ही संधि होती है ।
( 2) दूसरा तथ्य - सामान्यत: संधि का प्रत्येक उदाहरण स्वतः ही समास का उदाहरण होता है , पर समास का प्रत्येक उदाहरण संधि का उदाहरण नही होता।
(3) तीसरा तथ्य - संधि में एक स्थान पर एक ही संधि नियम लागू होगा। यानि कि पहली बार जिस नियम से संधि हुई है, वही मान्य है। भले ही शब्द में फिर से सन्धि होती हो, द्वितीय नियम मान्य नही हैं।
(4) चौथा तथ्य - किसी भी शब्द का सन्धि-विच्छेद करते समय उसे तोड़ने की निम्न स्थितियाँ हैं~
चौथे तथ्य का विस्तार~
१. पहला प्रयास~ सहज व सार्थक खण्ड हो ही।
२. दूसरा प्रयास~ पहले खंड का अर्थ प्राप्त हो जाए +दूसरा खंड निरर्थक हो तो भी उसे प्रत्यय मान कर संधि मान लेंगे |
३. तीसरा व अंतिम~ दोनों खंड निरर्थक ही हो रहें हो, परन्तु किसी नियम से सार्थक शब्द बनता हो तो वहाँ संधि मान्य होगी | (अयादि संधि)
5) पाचँवा तथ्य - किसी एक सन्धि पद में एक से अधिक स्थान पर भी सन्धि विच्छेद हो सकते है।
वो तभी माने जायेगे जब एक ही सन्धि नियम से सभी सन्धि-विच्छेद किये गये हो, अलग नियम नही होना चाहिए।
उदाहरण
1) सत् + चित् + आनन्द= सच्चिदानंद
2) सच्चित् + आनन्द= सच्चिदानंद
3) सत् + चिदानन्द= सच्चिदानंद
(6) छठवा तथ्य - कई बार कुछ शब्द ऐसे भी होते हैं जिनके एक से अधिक प्रकार से सन्धि विच्छेद होते हैं और सभी सही भी होते हैं। ऐसी स्थिति में वरीयता द्वारा सही उत्तर चुना जायेगा।
उदाहरण -
समुदाय = समुत् + आय (स्वर सन्धि)
समुदाय = सम् + उदाय (व्यंजन सन्धि)
एक से अधिक उत्तर सही होने पर वरीयता इस प्रकार होगी•••••
१. संधि क्रम से वरीयता~
सबसे पहले *स्वर* (स्वर में भी क्रम है-दीर्घ-गुण-वृद्धि-यण-अयादि)
*स्वर* के बाद *व्यंजन*
*व्यंजन* के बाद *विसर्ग*
२. वर्णक्रम से वरीयता~
जो वर्ण वर्णमाला में पहले आता है, उसकी संधि पहले होगी और जो वर्ण वर्णमाला में बाद में आता है , उसकी संधि बाद में ही होगी |
जैसे-
सज्जन
सत्+जन (१)
सद्+जन (२)
रावण
रौ+अन (अयादि)
रा+वन (व्यंजन)
🙏 जय-जय🙏
बेहद उम्दा जानकारी
ReplyDelete