[12/5, 01:39] ):
बातों के बताशे
अच्छे दिन आएँगे,
काला धन वापस लाएँगे
पन्द्रह लाख खाते में डालेगें
ऋण मोचन तो हो गया
अब किसान आत्महत्या न करेगें
राम मन्दिर बनाएँगे
गंगा स्वच्छ बनाएँगे
*बातों के बताशे* न समझो भाइयो
अच्छे दिन जरुर आएँगे
शिक्षा मित्रों को घर बैठाएँगे
नौकरी हम लाखों करोड़ो लाएँगे
डीजिटल इंडिया बना बनाएँगे
नोटबंदी तो हो गई
अब कालाधन शायद खत्म हो जाए
विदेश यात्रा भी हो गई
अब बुलेट ट्रेन से मँहगाई घटाएंगे
*बातों के बताशे* न समझो भाइयो
अच्छे दिन जरुर आएँगे|
डाॅ• राहुल शुक्ल साहिल
[12/5, 01:39]
भावना
प्रीत की शुभ भावना,
सुन्दर सुखी सद्भावना|
शब्द की हो व्यंजना,
वर्ण की अभिव्यंजना|
रात की सौगात हो,
मीत संग बरसात हो|
मिलन मधुमय गीत हो,
नव प्रेममय संगीत हो|
मद मोह लोभ को त्याग हो,
जीवन में सुख का भाग हो|
महकते गुल की पुष्पांजलि,
हिय भाव की काव्यांजलि|
© डाॅ• राहुल शुक्ल साहिल
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