[1] स्वर संधि
स्वर वर्ण से स्वर वर्ण के मेल से होने वाला विकार 'स्वर-संधि' कहलाता है |
यह विकार भी पाँच प्रकार से (हिन्दी भाषा में तो) होता है , यानि कि स्वर-संधि के पाँच प्रकार हैं~
१. दीर्ध स्वर-संधि
२. गुण स्वर-संधि
३. वृद्धि स्वर-संधि
४. यण स्वर-संधि
५. अयादि स्वर-संधि
ध्यान रहे कि उक्त क्रम सुनिश्चित है और इसमें परिवर्तन नहीं करना चाहिए, अन्यथा सही विकल्प चयन में भ्रम होने लगता है |
१. दीर्घ स्वर संधि
सूत्र 👇
सजातीय जब स्वर मिले, दीर्घ रूप में जा खिले |
सजातीय स्वर के ४ जोड़े हैं~
*अ-आ, इ-ई, उ-ऊ, ऋ-ॠ*
इनमें प्रत्येक में परस्पर मेल (कैसे भी) होने पर इनका ही दीर्घ वर्ण हो जाता है , अर्थात्
अ+आ, आ+अ, अ+अ , आ+आ = आ
इसी प्रकार👇
"इ-ई" कैसे भी मिले, परिणाम "ई" ही होगा |
"उ-ऊ" कैसे भी मिले, परिणाम "ऊ" ही होगा |
"ऋ-ॠ" कैसे भी मिले, परिणाम "ॠ" ही होगा |
उदाहरण 👇देखिए
शतांश
शत + अंश
अ + अ (ऊपर का अनुस्वार अप्रभावित रहेगा)
शत् (रहा; अ , निकलने से)
= आ
=शतांश
🙏 जय-जय🙏
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