इन्दवज्रा -छंद
शिल्प~समवर्ण, चार चरण,
प्रत्येक चरण में दो तगण एक जगण
और अन्त में दो गुरु /११ वर्ण
उदाहरण: - 221 221 121 22
तारा दिवानी मधु नेह की है|
जीना सिखाना धुन प्रेम की है||
बातें सुहानी मुझको सुलाए|
गाना सुनाए मनवा मिलाए||
गंगा बहाना मन चाहता है|
प्रेमी पुराना धुन चाहता है||
पूरी कहानी सुन लो जुबानी|
यादें हमेशा रख लो पुरानी||
बाजा बजाऊँ इकतार का जू|
गाना सुनाऊँ बृज लाल का जू|
प्रेमी दिवाना तुम भोर तारा|
साथी बनो तो मिल जाय धारा||
© डाॅ• राहुल शुक्ल साहिल
वाह वाह वाह डॉक्टर साहब। क्या शानदार लिखा है। मजा आ गया।
ReplyDeleteबहुत अच्छी जानकारी
ReplyDeleteबहुत ग्राह्य पंक्तियाँ हैं सर आपका बहुत बहुत धन्यवाद
ReplyDeleteवाह, शानदार 🙏
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