◆अहीर छंद◆
विधान~[प्रति चरण 11 मात्राएँ,
चरणान्त जगण(121),
दो दो चरण तुकांत।]
करिये प्रियतम प्यार|
पहने नव लख हार||
सजनी मन मलहार|
रमता धुन बलिहार||
लगती तुम मझधार|
विनती सुन हरि हार||
उजला मनसुख देख|
भरता गुन हिय लेख||
डॉ. राहुल शुक्ल साहिल
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