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जनचेतना साहित्यिक सांस्कृतिक समिति पंजी० २२६ की वार्षिक गतिविधियाँ

जनचेतना साहित्यिक सांस्कृतिक समिति  पंजी० २२६ की वार्षिक गतिविधियाँ 

⭕ १२ जून को समिति द्वारा प्रथम आनलाइन काव्य सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमें ५० से अधिक साहित्यकारों को वरदा अलंकरण सम्मान पत्र प्रेषित किया गया|

⭕ इलेक्ट्रानिक मीडिया साहित्य  में प्रगति हेतु १२ जुलाई को हिन्दी भाषा उन्नयन के क्रम में   आनलाइन  "जय जय हिन्दी" आभासी समूह (वाट्सएप समूह) का नामकरण एवं "जय - जय हिन्दी व्याकरण शाला"  का उद्घाटन किया गया | जिसमें निरन्तर हिन्दी भाषा  का गूढ़तम अध्यापन जयपुर राजस्थान के सुप्रसिद्ध वैयाकरण आ० भगत सहिष्णु जी द्वारा अनवरत जारी है|

⭕  ०३ सितम्बर २०१७ को राष्ट्र प्रेम  पर आयोजित आनलाइन कार्यक्रम में "राष्ट्र नाद अलंकरण" प्रदान करने हेतु  _'सारस्वत सम्मान समारोह'_  का आयोजन किया गया | जिसमें ५० (पचास) साहित्यकारों को सम्मानित किया गया|

⭕  ०५ सितम्बर २०१७ को शिक्षक दिवस  पर आयोजित आनलाइन प्रतियोगिता में विजेताओं को  अलंकरण सम्मान पत्र प्रदान किया गया|

⭕ २० अक्टूबर २०१७ को गोवर्धन पूजा के अवसर पर आयोजित प्रतियोगिता में प्रतिभागियों को "शब्दांकुर अलंकरण"  सम्मान पत्र प्रदान किया गया|

⭕  १८ नवम्बर २०१७ को समिति द्वारा प्रथम प्रादेशिक काव्य सम्मेलन नवदिया, सितारगंज, बीसलपुर  की घरती पर आयोजित हुआ| जिसमें वरिष्ठ एवं नवयुवा कवियों ने शानदार काव्यपाठ द्वारा श्रोताओं को मंत्र -मुग्ध कर दिया| प्रतिभागी कवियों को "वाणी पुत्र अलंकरण" सम्मान पत्र एवं दोशाला भेंट कर सम्मानित किया गया|

⭕. जनचेतना साहित्यिक सांस्कृतिक समिति द्वारा अनवरत विभिन्न प्रकार के विषयों पर विभिन्न विधाओं में सर्जन दैनिक रूप से जारी हैं| जिसमें श्रेष्ठ  रचनाकारों/ छन्दकारों एवं समीक्षकों को नित्य सम्मानित किया जाता है | छन्दों के सर्वश्रेष्ठ विद्वान परम आदरणीय  शैलेन्द्र खरे 'सोम' गुरुदेव द्वारा नित्य नूतन छन्दों को सीखकर समिति के सदस्य हिन्दी का नवयुग रचने को तैयार हैं|  

⭕ जनचेतना साहित्यिक सांस्कृतिक समिति (पंजी० २२६) बीसलपुर पीलीभीत उ० प्र० द्वारा "जय जय हिन्दी विशेषांक" का प्रकाशन किया जा रहा है जिसमें भारतवर्ष के कई राज्यों के साहित्यकारों की विभिन्न विषय पर रचनाओं का मिश्रित संकलन किया गया है, जो विशेषांक के सौन्दर्य की गाथा दर्शा रहा है|

⭕ जनचेतना साहित्यिक सांस्कृतिक समिति के "जय जय हिन्दी विशेषांक" का विमोचन / राष्ट्रीय काव्य सम्मेलन/ सम्मान समारोह एवं वार्षिक संस्थागत संगोष्ठी का आयोजन २१ जनवरी २०१६ को प्रस्तावित है|

जनचेतना साहित्यिक सांस्कृतिक समिति परिवार
                            जय जय

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कुल उच्चारण स्थान ~ ८ (आठ) हैं ~ १. कण्ठ~ गले पर सामने की ओर उभरा हुआ भाग (मणि)  २. तालु~ जीभ के ठीक ऊपर वाला गहरा भाग ३. मूर्धा~ तालु के ऊपरी भाग से लेकर ऊपर के दाँतों तक ४. दन्त~ ये जानते ही है ५. ओष्ठ~ ये जानते ही हैं   ६. कंठतालु~ कंठ व तालु एक साथ ७. कंठौष्ठ~ कंठ व ओष्ठ ८. दन्तौष्ठ ~ दाँत व ओष्ठ अब क्रमश: ~ १. कंठ ~ अ-आ, क वर्ग (क, ख, ग, घ, ङ), अ: (विसर्ग) , ह = कुल ९ (नौ) वर्ण कंठ से बोले जाते हैं | २. तालु ~ इ-ई, च वर्ग (च, छ, ज, झ, ञ) य, श = ९ (नौ) वर्ण ३. मूर्धा ~ ऋ, ट वर्ग (ट, ठ, ड, ढ, ण), र , ष =८ (आठ) वर्ण ४. दन्त ~ त वर्ग (त, थ, द, ध, न) ल, स = ७ (सात) वर्ण ५. ओष्ठ ~ उ-ऊ, प वर्ग (प, फ, ब, भ, म)  =७ (सात) वर्ण ६. कंठतालु ~ ए-ऐ = २ (दो) वर्ण ७. कंठौष्ठ ~ ओ-औ = २ (दो) वर्ण ८. दंतौष्ठ ~ व = १ (एक) वर्ण इस प्रकार ये (४५) पैंतालीस वर्ण हुए ~ कंठ -९+ तालु-९+मूर्धा-८, दन्त-७+ओष्ठ-७+ कंठतालु-२+कंठौष्ठ-२+दंतौष्ठ-१= ४५ (पैंतालीस) और सभी वर्गों (क, च, ट, त, प की लाईन) के पंचम वर्ण तो ऊपर की गणना में आ गए और *ये ही पंचम हल् (आधे) होने पर👇* नासिका\अनुस्वार वर्ण ~

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