🌐_*मन का मैल*_ 🌐
मन का मैल अगर धो लेते,
तो क्यूँ होता भ्रष्टाचार|
अंतर का पट यदि धो लेते,
तो क्यूँ होता अत्याचार|
*मन का मैल अगर धो लेते•••••••••○•••••*
नारी को यदि माँ मानें,
तो क्यूँ होते बलात्कार|
सच्ची सेवा हम कर लेते,
तो क्यूँ बढ़ता अनाचार|
*मन का मैल अगर धो लेते•••••••••○•••••*
सभी को एकसमान समझते,
कैसे आता आतंकवाद|
सब रहते मिलजुल कर हम,
कैसे आता जातिवाद|
*मन का मैल अगर धो लेते•••••••••○•••••*
वैदिक संस्कार जो होते,
कैसे बढ़ता रावणराज|
जीवन होता जीव समर्पित,
फिर से आता रामराज|
*मन का मैल अगर धो लेते•••••••••○•••••*
© डाॅ• राहुल शुक्ल साहिल
[12/5, 01:38] Rahul Shukla (Samsung): कला और कौशल का अभिमानी तो बनूँ,
मन का मैल धोकर स्वाभिमानी तो बनूँ|
बहुत भटक चुका हूँ दुर्गम पथ पर,
अब अंतिम पड़ाव में मैं गुमानी तो बनूँ|
साहिल की बधाई
💐🌺🌹🙏🙏💐🌺🌹
[12/5, 01:38]
मन का मैल उम्र के इस पड़ाव में साफ करते हैं|
गुज़रे हुए प्रेम का सफर तुम संग याद करते हैं|
मोहब्बत की इस उम्र में भी फ़रियाद करते हैं|
राह में अब भी किसी हमनशीं का इंतजार करते हैं|
🌹साहिल🌹
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