गंग छन्द / जलहरण घनाक्षरी (गणेश)

    गंग छंद
   ÷÷÷÷÷÷
प्रति चरण 9 मात्राएँ  , चरणांत 2 गुरु अनिवार्य, कुल चार चरण और दो - दो चरण समतुकांत

🥀  गणेश  🥀

मूस की सवारी |
देव   हैं   भारी ||
मोदक   सुहाए |
क्रोध को खाएं ||

भोग   हो  प्यारा |
जग मुदित सारा||
फल  चढ़े  मेवा |
देव   की  सेवा ||

कर्म  को  साधूँ |
धर्म  से   बाधूँ ||
देव  कृपा  पाऊँ|
नित्य ही ध्याऊँ||

गजानन  जै  जै|
कृपानिधि जै जै||
जय  हो  गणेशा|
गणपति  नरेशा||

बल  बुद्धि पाएं|
सुविचार  आएं||
शिव  पुत्र  सोहे|
रूप   से   मोहे||

उमा   है   माता |
शक्ति सुख दाता||
स्नेह  भर  जाएं |
नाते     निभाएँ ||

©डॉ० राहुल शुक्ल साहिल

जलहरण घनाक्षरी (32 वर्ण) -8, 8, 8, 8 अंत में लघु-लघु होता है

     💐श्री गणेश 💐

जय जय श्री गणेश,
जय हो प्रथम देव,
वंदन अभिनन्दन,
जय मंगल दायक।

उमा महादेव सुत,
बल बुद्धि विद्या देव,
जीवन कष्ट  हरण,
जय जय विनायक।

गजानन  गणपति
तिलक भाल सोहत
सुंदर मन मोहत,
शंकर सुत लायक।

गणेश  शक्ति  नमन,
सदा विघ्न विनाशक,
मोदक भोग चढ़त,
सिद्धि देव नायक।

✍   डाॅ• राहुल शुक्ल साहिल

Comments

Popular posts from this blog

वर्णमाला

वर्णों के 8 उच्चारण स्थान

व्युत्पत्ति के आधार पर शब्द के प्रकार