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साहिल के दो शब्द

_साहिल के दो शब्द_

जीवन के झंझावातों में जो इंसान अडिग रहें, कुछ समय के अंधियारे से डरकर कर्म पथ को छोड़ न दें, वही महापुरुष है|

अपने हित को त्यागकर, पुरुषार्थ एवं चारित्रिक आचरण की सशक्त धरा पर जो सकारात्मक एवं सार्थक कर्म करता है, विचारशील उक्तियों से आदर्श पथ पर चलकर राष्ट्र हित एवं जन हित सेवा का कार्य करता है, वही महापुरुष है |

दिये की बाती के समान खुद को तपाकर जो अन्य को प्रज्जवलित करता है, वही महापुरुष है |

औरों के हित जो जीता है,
औरों के हित जो मरता है,
रामायण  के  आदर्शो पर,
चलना इस युग की गीता है|

©डाॅ• राहुल शुक्ल साहिल

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