Skip to main content

इन्द्रव्रजा छन्द

       इन्दवज्रा छंद
शिल्प~समवर्ण, चार चरण  प्रत्येक चरण में दो तगण एक जगण और अन्त में दो गुरु /११ वर्ण
उदाहरण: -
S S I  S S I  I S I  S S

तू चाह मेरी बन जा सहारा|
तेरे  बिना है  मन  बेसहारा||
आओ बनाएँ सुर गीत प्यारा|
गाएँ बजाएँ धुन 'प्रीत' 'तारा'||

कोई कहानी हम भी बनाएं|
पूरी जवानी तुम  पे लुटाएँ||
मेरी उदासी कुछ बोलती है|
सारे पुराने पट  खोलती है||

© डॉ० राहुल शुक्ल साहिल

Comments

Popular posts from this blog

वर्णमाला

[18/04 1:52 PM] Rahul Shukla: [20/03 23:13] अंजलि शीलू: स्वर का नवा व अंतिम भेद १. *संवृत्त* - मुँह का कम खुलना। उदाहरण -   इ, ई, उ, ऊ, ऋ २. *अर्ध संवृत*- कम मुँह खुलने पर निकलने वाले स्वर। उदाहरण - ए, ओ ३. *विवृत्त* - मुँह गुफा जैस...

वर्णों के 8 उच्चारण स्थान

कुल उच्चारण स्थान ~ ८ (आठ) हैं ~ १. कण्ठ~ गले पर सामने की ओर उभरा हुआ भाग (मणि)  २. तालु~ जीभ के ठीक ऊपर वाला गहरा भाग ३. मूर्धा~ तालु के ऊपरी भाग से लेकर ऊपर के दाँतों तक ४. दन्त~ ये जानते ही ...

व्युत्पत्ति के आधार पर शब्द के प्रकार

व्युत्पत्ति के आधार पर शब्द व्युत्पत्ति का अर्थ है ~ विशेष प्रयास व प्रयोजन द्वारा शब्द को जन्म देना| यह दो प्रकार से होता है~ १. अतर्क के शब्द (जिनकी बनावट व अर्थ धारण का कारण ...