रथोद्धता छन्द

  विषय-◆रथोद्धता छंद◆
विधान~ [रगण नगण रगण+लघु गुरु]
(212 111 212  12) 11वर्ण, 4 चरण
[दो-दो चरण समतुकांत]

कामिनी हृदय हार हो रही|
रागिनी सकल नेह दो सही||
भावना सरल सी बुनो यहीं|
चाहतें सफल मेल है कहीं||

रोकना  चमन  शोर हो रहा|
बैर से  अमन  चैन  है बहा||
दामिनी करुण मान ताकती|
मोरनी तरुण  दिव्य नाचती||

बोलिए अब  गुहार  चाहिए|
शीघ्र ही मनु  पुकार चाहिए||
मानसी  गुन  विचार लाइए|
साथियों वचन तो निभाइए||

©डॉ० राहुल शुक्ल साहिल

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