आदरणीय जितेन्द्र/बिजेन्द्र जी

          मुक्तक~
1222,1222,1222,1222

विषय-करुणा

बड़ी उम्मीद ले आया,खड़ा है  दास  द्वारे  पर|
बसी तस्वीर है बाबा ,बड़े  अरमाँ  तुम्हारे पर||
दया करुणा 'के'सागर हो,हमारी टेर सुन बाबा,
फँसी मझदार में नैया,लगादो अब किनारे पर||

जितेन्द्र चौहान "दिव्य"

        पंचमगति छन्द
  
विधान- भगण जगण गुरु =7वर्ण
  चार चरण दो- दो चरण समतुकान्त ।

आप गुरु से मिलें ।
भाव तब ही खिलें।।
दोष सब दूर हो ।
ज्ञान भरपूर  हो ।।

आप करतार हो ।
दीन भरतार हो ।।
दास निज मानिये ।
नाथ पहचानिये ।। 

आज विपदा हरो ।
दीन सुखदा करो ।।
आप गुणवान हो ।
नाथ भगवान हो ।।

दास निज मानिये ।
भाव पहचानिये ।।
राघव सुजान हो ।
पालत जहान हो ।।

बिजेन्द्र सिंह सरल

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