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◆रमा(1) छंद◆
विधान~
[ सगण गुरु]
( 112 2)
4वर्ण, 4 चरण,
दो-दो चरण समतुकांत।
जब आना ।
तब लाना ।।
यक बाला।
वरमाला।
तरसाना।
तड़पाना।।
अब आना।
मत जाना।।
जग जाने।
मन माने।।
हम तेरे।
बिन फेरे।।
अब नैना।
बन रैना।।
मिल जाये।
मन भाये।।
रुक जाओ।
कुछ गाओ।।
सुर प्यारा।
सुर धारा।।
डाॅ• राहुल शुक्ल साहिल
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