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स्वर का चौथा प्रकार

स्वर के प्रकार में चौथा ~ 👇💐🙏🏻

4)  उत्पत्ति\बनावट के आधार पर *स्वर के तीन प्रकार

१. मूल या प्राकृतिक स्वर ~ अ, इ, उ, ऋ

२. यौगिक ~आ, ई, ऊ, व ॠ (यह चौथा वाला केवल संधि हेतु)

३. संयुक्त~
                ए (अ-आ+इ-ई)
                ऐ (अ-आ+ए-ऐ)
               ओ (अ-आ+उ-ऊ)
              औ (अ-आ+ओ-औ)

(शेष शुद्ध स्वर नहीं हैं न , अत: अगण्य हैं)

[26/07 10:00 PM] भगत गुरु: संयुक्त से तात्त्पर्य है ~ अलग-अलग समूह से मिलकर नया स्वरूप धारण करना |

और
यौगिक से तात्त्पर्य है~ एक ही समूह से मिलकर नया स्वरूप धारण करना |

[26/07 10:04 PM] भगत गुरु: दीर्घ संधि के सभी उदाहरण *यौगिक* में होंगे।

और

शेष सभी स्वर संधियों के *संयुक्त*स्वर में होंगे |
संधि प्रकरण पर और चर्चा होगी |

पाँचवाँ ओष्ठाकार के आधार पर ~

ये मूलत: दो हैं ~

१. वृत्ताकार ~ उ, ऊ, ओ, औ

२. अवृत्ताकार ~ अ, आ, इ, ई, ए, ऐ , ऋ

======

परन्तु कई बार *अर्धवृत्ताकार की स्थिति भी परिक्षाओं में आ जाती हैं* 🙏

ऐसी स्थिति में ~

शुद्ध वृत्ताकार में ~ उ, ऊ (केवल दो)
अर्धवृत्ताकार में ~ ओ-औ

व अवृत्ताकार में ~ पूर्व के यथावत रहेंगे |

संधि के आधार पर ६ (छह) हैं ~

१. सामान्य\आधार स्वर ~ अ, इ, उ, ऋ

२. दीर्घ स्वर ~ आ, ई, ऊ, ॠ

३. गुण स्वर ~ ए, ओ

४. वृद्धि स्वर ~ ऐ, औ

५. विसर्ग स्वर ~ अ:

६. व्यंजनाधारित स्वर ~ अं

🙏 जय-जय



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