[25/07 9:39 PM] Rahul Shukla: पहला संख्या के आधार पर स्वर के प्रकार
१. मानक\शुद्ध स्वर
२. प्रचलित स्वर\स्वर
३. प्रायोगिक स्वर
४. कुल स्वर\वर्णामाला में कुल स्वर
५. मूल स्वर (आगत\संस्कृत से आए)
६. मूल स्वर (हिन्दी में अंगीकृत)
व्याख्या~
*१. मानक\शुद्ध स्वर~*
जो स्वर परिभाषा के अनुसार सटीक हैं अर्थात जो वाकई में स्वर ही हैं।
ये १० (दस) हैं~
अ-आ, इ-ई, उ-ऊ, ए-ऐ, ओ-औ
(दो-दो के समूह से ही उच्चारण अन्तर निकलता है )
मानक स्वर १० (दस) हैं , अर्थात ऋ, अं , अ: , इन तीनों को छोड़कर शेष सभी ,
*अब दूसरा~ प्रचलित स्वर~*
(जो स्वर संस्कृत से हिन्दी में चलते है या यूँ कहें कि हिन्दी में गिन लेते हैं |)
ये है~ ११ (ग्यारह)= १० (दस) मानक + ऋ (चलन में तो है ही)
*तीसरा~ प्रायोगिक स्वर*
(जिनका प्रयोग हिन्दी के अपने शब्द बनाने में होता है |)
ये हैं~ १० (दस) मानक + अं+अ:
*चौथा~ सारे स्वर(पूरे स्वर)*
*पाँचवाँ~ मूल स्वर* (संस्कृत)
ये हैं~ अ, इ, उ, ऋ (इन्हीं के पारस्परिक संयोग से अन्य स्वर बने हैं | यूँ कहें कि भाषा-सृष्टि की मूर्त ध्वनियाँ यही चार स्वर हैं|)
*छठवाँ~ मूल स्वर* (हिन्दी)
ये हैं ~अ, इ, उ (ऋ हिन्दी का नहीं है, क्योंकि इससे हिन्दी का (तद्भव) शब्द बनता ही नही | परन्तु काव्य में इसे प्रयोग करते ही है |)
🙏 यह हुआ *पहला स्वर भेद* , पूर्ण ✅
🙏🏻जय-जय🙏🏻
[25/07 9:40 PM] भगत गुरु: 🙏🏻💐🙏🏻💐💐💐
*1) संख्या के आधार पर स्वर के प्रकार*
१. मानक\शुद्ध स्वर ~१० (ऋ, अं व अ: को छोड़कर शेष सभी)
२. प्रचलित स्वर\स्वर~ ११ (केवल अं व अ: को छोड़कर शेष सभी)
३. प्रायोगिक स्वर~ १२ (केवल ऋ को छोड़कर शेष सभी)
४. कुल स्वर\वर्णामाला में कुल स्वर~ १३ (सभी)
५. मूल स्वर (आगत\संस्कृत से आए) ~ ४ (अ, इ, उ, ऋ)
६. मूल स्वर (हिन्दी में अंगीकृत) ~३ (अ, इ, उ)
🙏 जय-जय
[25/07 10 PM] Rahul Shukla: स्वर के प्रकार में दूसरा है ~
*(2) मात्राकाल के आधार पर~*
हिन्दी में मात्राकाल के आधार पर मात्र २ (दो) प्रकार है ~
*१. लघु\हृस्व\छोटे स्वर ~* ये ४ हैं ~ अ, इ, उ, ऋ
*२. गुरु\दीर्घ\बड़े स्वर ~* उक्त ४ को छोड़कर शेष सभी
अर्थात~आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ, अं, अ:
*विशेष(नोट)~*
(काव्य में इन्हीं से मात्रा निर्धारण होता है जी)
ध्यान रहे कि जब *केवल स्वर कितने ? तो उत्तर ११ वाला होगा , क्योंकि ऋ हिन्दी में ग्राह्य है |*
*ए* दीर्घ में होगा,क्योंकि यह *अ-आ व इ-ई* में से किन्हीं एक-एक से मिलकर बना है, तो बड़ा हुआ न
*स्वर के प्रकार में तीसरा है•* ~
*(3) जाति के आधार पर~*
जाति के आधार पर स्वर दो प्रकार के ~
१. सजातीय
२. विजातीय
*१. सजातीय में चार युग्म होंगे~*
अ-आ इ-ई उ-ऊ और ऋ-ॠ (चौथा वाला संधि प्रयोग की दृष्टि से विशेष है)
(यहाँ सजातीय से आशय एक ही प्रकार से बने स्वरों से है | यूँ कहें कि जो रक्त *अ* की रगों में दौड़ रहा है, वही रक्त *आ* की रगों में भी है | इसी प्रकार से बाक़ी भी समझें |)
*२. विजातीय स्वर ~* ए-ऐ, ओ-औ , अं-अ:
तथा *अलग-अलग* जोड़े से यदि परस्पर कोई स्वर मिलते हैं, तो वे भी विजातीय ही होंगे |
जैसे~ अ+इ, इ+उ, उ+अ...... आदि |
ये विजातीय इसलिये हैं ; क्योंकि इनकी रगों में बहने वाला रक्त भले ही समान प्रतीत होता हो, पर है नहीं| देखिए इनकी बनावट~
अ-आ+इ+ई=ए
अ+आ+ए-ऐ=ऐ
अ-आ+उ-ऊ=ओ
अ-आ+ओ-औ=औ
🙏🏻 जय-जय🙏🏻
🙏🏻 जय-जय🙏🏻
Comments
Post a Comment