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विधा- ◆बुद्बुद छंद◆
विधान~
[ नगण जगण रगण]
(111 121 212)
9 वर्ण,4 चरण
दो-दो चरण समतुकांत]
दुख पल को बिसारिऐ।
तन मन को सँवारिऐ।।
मधुवन ही बनाइऐ।
रघुवर गीत गाइऐ।।
🙏🏻साहिल 🙏🏻
जितना भी चाहता हूं, सब मिल ही जाता है, अब दुख किस बात का ॽ
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