[17/07 22:08] भगत गुरु: हिन्दी की चार विशेषताएँ~
१.
जैसा बोला जाता है- वैसा ही लिखा जाता है |
२.
लगभग हर शब्द अपना परिचय संकेत करता है |
३.
विश्व की सभी भाषाओं के उच्चारण को\ शब्दों-वाक्यों को हम हिन्दी में लिख सकते है |
जैसे~
Book=बुक
४.
हिन्दी में हिन्दी वास्तव में होती ही नहीं है, 😀 है न रोचक बात
🙏 जी,
हिन्दी में १℅ हिन्दी है, बाकी ९९℅ अन्य भाषाएँ
इसमें भी~
आधा प्रतिशत~ तद्भव शब्द हैं
और आधा प्रतिशत~ हिन्दी की संधियाँ
🙏🙏🙏
ये हैं हिन्दी की वे विशेषताएँ, जो उसे उत्कृष्ट और पूर्ण वैज्ञानिकता प्रदान करती है |
🙏 जय-जय
हिन्दी का अपना क्षेत्र मात्र दो स्थान तक है और यहीं से उत्तरोत्तर बढ़ रहा है |
१. तद्भव शब्द~वे शब्द जो संस्कृत से हिन्दी में आये हैं,पर प्रयोग में उनका रूप (बनावट) बदल जाता है पर अर्थ वही बना रहता है |
ये शब्द ही हिन्दी को स्थापित करते हैं | बाक़ी तो *हिन्दी में लगभग ६० ℅संस्कृत का समावेश है | शेष में उर्दू, फ़ारसी, पुर्तगाली, रूसी, चीनी इत्यादि भाषाओं के साथ देशज का संयोग है |
[17/07 22:22] भगत गुरु: जैसे~
दैनिक बोलचाल में सर्वाधिक स्थानीय देशज का पुट होता है |
लेखन में हम विविध भाषाओं का सहयोग लेते है | कहते भले ही हिन्दी हों, पर बहुत सी भाषाएँ मिली होती है |
पर,
हिन्दी में संस्कृत का सबसे अधिक प्रयोग है |
आगे पढ़ते हुये हम शब्द प्रकरण में इसे और भी गहराई तक समझेंगे |
🙏 जय-जय
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